मेरठ, अगस्त 6 -- मेरठ। रोजगार देने में हथकरघा उद्योग दूसरे स्थान पर है। यह 35 लाख लोगों को रोजगार दे रहा है। आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार बनाने में हथकरघा उद्योग मजबूत कड़ी है। हथकरघा बुनाई कला में पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव है और इसके प्रत्येक क्षेत्र में विविधताएं हैं। बनारसी, जामदानी, बालूचरी, मधुबनी, कोसा, इक्कत, पटोला, तसर सिल्क, माहेश्वरी, मोइरांग फी, बालूचरी, फुलकारी, लहरिया, खंडुआ और तंगलिया जैसे कुछ विशिष्ट उत्पादों के नाम हैं जिनकी विशिष्ट बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक रूपांकन दुनियाभर के ग्राहकों को आकर्षित करता है। सीसीएसयू के ललित कला विभाग में बुनकर सेवा केंद्र एवं महिला अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में हथकरघा एक गौरवशाली विरासत विषय पर पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता में यह बात बुनकर सेवा केंद्र के उप-निदेशक तपन शर्मा ने...