नई दिल्ली, अगस्त 14 -- स्वतंत्रता का अर्थ केवल बाह्य बंधनों से मुक्ति नहीं, बल्कि आंतरिक अनुशासन और आत्म-नियंत्रण है, जिसके बिना कोई भी राष्ट्र न तो दीर्घकालीन प्रगति कर सकता है, न ही आत्म-गौरव का अनुभव कर सकता है। भारत एक ऐसा ही राष्ट्र है। इसकी जड़ों में संस्कृति, दर्शन और अध्यात्म की अद्भुत समृद्धता है। इसके पास केवल भौगोलिक विस्तार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक गहराई भी है। आज भारत केवल राजनीतिक स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करता, बल्कि वह आत्मनिर्भरता की दिशा में भी अग्रसर है। आत्मनिर्भर भारत का अभियान केवल एक आर्थिक योजना नहीं, बल्कि मानसिक स्वतंत्रता का घोष है। यह देशवासियों को कहता है कि हम विचारों, तकनीक, संसाधनों और चरित्र में आत्मनिर्भर बनें। आज भारत रक्षा क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमान, मिसाइलें, और उपग्रह बना रहा है। विज्ञान एवं तकनीक के ...
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