देहरादून, जुलाई 14 -- परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी और राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महामुनिराज के सानिध्य में सोमवार को जैन धर्मशाला में जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। इसके बाद संगीतमय कल्याण मंदिर विधान का आयोजन किया गया। विधान मे उपस्थित भक्तो ने बड़े भक्ति भाव के साथ 23वे तीर्थंकर चिंतामणि भगवान पार्श्वनाथ की आराधना की। आज के विधान के पुण्यार्जक महिला जैन मिलन रही। भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति आराधना के आज तीसरे दिन पूज्य आचार्य श्री ने प्रवचन में कहा कि हमें चीज़ो का अहसास नहीं होता है, लेकिन एहसान जरूर होता है। कोई एहसान करता है तो कभी भूलो मत और किसी से कोई गलती हो जाए तो उसके दुख के क्षणो में पुरानी बातो को याद दिलाकर उसको एहसास मत कराओ कि तुम तो गलत हो। जिन दिन अहसान और एहसास का इतना अंतर आपके भीतर आ जाय...
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