रुडकी, जुलाई 2 -- मोहर्रम के अवसर पर शहीदाने करबला को खिराज-ए-अकीदत पेश करने के लिए मजलिसों का सिलसिला जारी है। मोहर्रम की छह तारीख को हजरत इमाम हुसैन के हजरत अली अकबर की शहादत को याद किया गया। मौलाना कमाल अब्बास रिज़वी छोलसी ने कहा कि इमाम हुसैन के पुत्र हजरत अली अकबर का इमाम हुसैन की बहन जैनब ने पालन-पोषण किया था। कर्बला के मैदान में जब इमाम हुसैन के छोटे से लश्कर के लोग एक के बाद एक शहीद होते गए तब हजरत अली अकबर ने भी मैदान-ए-जंग में जाने की अनुमति मांगी थी। लेकिन तीन दिन के भूखे प्यासे दुश्मनों से चारों ओर से घिर गए और शहीद हो गये। उलेमा हजरत ने कहा कि इंसानियत को जिंदगी अता करने के लिए इमाम हुसैन ने कुर्बानियां पेश की हैं। इस अवसर पर बड़ा इमामबाड़ा प्रबंधक काशिफ मोहम्मद हैदर, हसनैन, अयान हैदर, मुशीर हुसैन, चांद मिया आब्दी, अम्मार आब्...