अंबेडकर नगर, अप्रैल 20 -- अम्बेडकरनगर। भारत देश के अतीत से लेकर वर्तमान तक में महादान की परंपरा पर दृष्टिपात करें तो सर्वप्रथम सतयुग के राजा शिवी का नाम आता है। राजा शिवी ने व्याध बने भगवान् विष्णु के कबूतर के जीवन की रक्षा के लिए अपने शरीर का मांस काट काट कर दान किया था। इसी कड़ी में त्रेता युग में महर्षि दधीचि का नाम आता है, जिन्होंने राजा इंद्र को वज्र बनाने के लिए अपने अस्थियों का दान किया था। वहीं कलयुग में राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए महाराणा प्रताप एवं वीरांगना लक्ष्मी बाई ने अपना-अपना सर्वस्व जीवन दान देकर अमरत्व को प्राप्त किया है। इस कड़ी में द्वापर युग (महाभारत काल) के राजा मोरध्वज के त्याग और बलिदान का उल्लेख किए बिना दानियों के नामों की सूची अधूरी ही रहेगी। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज का दान और बलिदान की कड़ी सबसे बड़ा नाम है। शास...
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