नई दिल्ली, जून 25 -- 22 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब ईरान के परमाणु ठिकानों पर एक के बाद एक अभूतपूर्व हवाई हमलों का आदेश दिया, तो यह पश्चिम एशिया में अमेरिका की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई बन गई। 2003 के इराक युद्ध के बाद पहली बार इतनी आक्रामक सैन्य पहल हुई। जहां रूस, तुर्किये और पाकिस्तान जैसे देशों की निंदा की प्रतिक्रिया अपेक्षित थी, वहीं सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि चीन जैसी वैश्विक ताकत इस संकट पर लगभग चुप्पी साधे बैठी रही। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार ने अमेरिका के हमलों को "अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन" बताया, लेकिन न तो कूटनीतिक हस्तक्षेप किया, न ही सैन्य प्रतिक्रिया दी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की इस कार्रवाई ने दुनिया को यह स्पष्ट रूप से दिखा दिया कि चीन की वैश्विक प्रभाव क्ष...
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