वाराणसी, जनवरी 30 -- वाराणसी, हिन्दुस्तान टीम। माघ मास की अमावस्या तिथि पर धर्मनगरी काशी श्रद्धालुओं के मौन तप की साक्षी बनी। मंगलवार की देररात से ही गंगा घाट पर जुटी भीड़ अपने ईष्ट का ध्यान करते हुए अमावस्या के मुहूर्त की प्रतीक्षा करती रही। तिथि लगते ही लोगों ने अमृत की डुबकी लगाई। अब तक मौन रहे कंठों से 'हर-हर गंगे और 'हर-हर महादेव गूंज उठा। पौ फटने से पहले स्नान, ध्यान और दान का क्रम जो शुरू हुआ तो सूरज के सिर पर चढ़ आने तक चलता रहा। महाकुम्भ के वर्ष में इस बार मौनी अमावस्या पर चार विशिष्ट योग भी बन रहे थे। शिववास, सिद्धि, वृषभ गुरु और वज्र योग को अत्यंत पुण्य फलदायी माना गया है। ज्योतिष विद्वानों ने बताया कि श्रवण नक्षत्र में मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध के एक साथ होने से त्रिग्रही योग बना। इस योग में काशी में स्नान, दान करने क...