गंगापार, मार्च 12 -- रंगों के पर्व होली में अब महज कुछ घंटे का ही समय बचा है लेकिन इस बीच क्षेत्र में आधुनिकता की भेंट रंगों का पर्व भी चढ़ गया है। क्षेत्र में पहले जहां गांवों में महिलाएं और युवतियां गोबर से कंडे बनाने का कार्य करती थी। ताकि उनकी होली के दिन पूजा कर होलिका दहन के लिए उपयोग किया जा सके। लेकिन अब गांवों में महज कुछ ही बुजुर्ग महिलाएं ही कंडे बनाने का कार्य कर रहीं है। ताकि होली के दिन इनकी पूजा की जा सके। लेकिन क्षेत्र में अब होली के लिए कंडे बनाने की परंपरा लगभग विलुप्त सी हो गई है। गांवों में महिलाएं व युवतियां होली के दस दिन पूर्व ही गाय के गोबर से तरह-तरह के डिजाइन के कंड़ों तैयार करने में लग जाती थी।इसके लिए वह अनेक तरह के डिजाइनों में उन्हें बनाती थी। लेकिन अब यह परंपरा लगभग खत्म सी हो गई है। उपलों व कंडे का विशेष मह...