सीवान, अक्टूबर 17 -- सीवान। स्थान - बड़हरिया बस पड़ाव। दिन - गुरुवार। समय- 4 बजे शाम। चुनाव के नामांकन को लेकर आती-जाती गाड़ियों के बीच कई लोग चाय की दुकान पर उतरकर खड़े हो गए। कहने लगे- ऐ चाय वाले भाई - 10 चाय इधर भी कर दीजिए। हमको बढ़िया वाला दीजिएगा। ठीक है रमेश भाई। हम तो बराबर बढ़िया ही देते हैं। इसबार किसके नामांकन में आए हैं भइया। किसके साथ हैं। यह सुनकर रमेश कहने लगे - ए, चंदन हम क्या कहें। इस बार सभी पहलवान तो उतर ही गए हैं। गांव- गांव में फेरा लगाने ही लगे हैं। अब क्या कहिएगा। हम तो बड़ा ही उलझकर रह गए हैं। किसी को कुछ भी कहना नहीं चाह रहे हैं। ए भईया हम रोज चाय की दुकान पर यही देख रहे हैं। जो लोग पिछले साल दूसरे के साथ थे, वे लोग तो अब दूसरे के साथ घूम रहे हैं। तो देख नहीं रहे हो। इस साल तो कई गोर टिकटवा कट गया हैन। सभ नया- नया...
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