नई दिल्ली, नवम्बर 28 -- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B) को निर्देश दिया कि वह सोशल मीडिया पर यूजर जनरेटेड कंटेंट (UGC) के अपलोड होने से पहले उसकी स्क्रीनिंग के लिए एक प्रि-स्क्रीनिंग मैकेनिज्म का मसौदा तैयार करे। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ कंटेंट इतनी तेजी से वायरल हो जाता है कि उसे हटाने से पहले ही समाज में अशांति फैल जाती है, इसलिए केवल पोस्ट-फैक्टो कार्रवाई काफी नहीं है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश (CI) जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ कर रही थी। पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन यह पूर्णतः निरंकुश नहीं है। अमेरिका के फर्स्ट अमेंडमेंट की तरह यह पूर्ण अधिकार नहीं है। यूजर-जेनरेटेड कंटेंट के मामले में सेल्फ-रेगुलेटरी कोड काम नहीं कर रहे। अगर कोई राष्...