नई दिल्ली, नवम्बर 6 -- भाग्य ऐसी चीज है, जिसे आप अचेतन में निर्मित करते आए हैं। आप इसे सचेतन में भी निर्मित कर सकते हैं। आप अपने भाग्य को फिर से लिख सकते हैं। आप कहां जाना चाहते हैं, आप तय करें, अपना मार्ग और मंजिल खुद चुनें। यह आपके हाथ में है। अगर आप अपने अंतरतम को छू सकें; अगर एक क्षण के लिए अनुभव कर सकें कि सृजन का स्रोत आपके भीतर है और संपूर्ण ध्यान स्वयं पर लगा सकें, तो आप अपना भाग्य दोबारा लिख सकते हैं। वास्तव में, आपका ध्यान हमेशा बिखरा रहता है, क्योंकि जिसे आप 'मैं' मानते हैं, वह आपका घर है, आपकी कार, पत्नी, संतान, शिक्षा, आपका ओहदा और आपकी अन्य सभी पहचानें हैं। अगर मैं आपको इन सभी चीजों से अलग कर दूं, शरीर और मन से भी अलग कर दूं, जिन्हें आपने इकट्ठा किया है, तो आप ऐसा महसूस करेंगे, जैसे आपका अस्तित्व ही नहीं है। तो जिसे आप 'मैं'...