नई दिल्ली, सितम्बर 24 -- नीरजा चौधरी,वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पटना के सदाकत आश्रम में बुधवार को आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक प्रतीकात्मक जरूर थी, मगर इसके निहितार्थ गहरे हैं। आजादी के बाद यह पहला मौका था, जब कांग्रेस पार्टी के नीतिकार इस ऐतिहासिक जगह पर विमर्श के लिए बैठे। सन् 1921 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित इस आश्रम की पहचान देश के स्वतंत्रता आंदोलन के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में रही है। देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद पद से हटने के बाद यहीं आकर रहे। जाहिर है, यह आश्रम बिहार, भारत व कांग्रेस, तीनों के इतिहास से साझेदारी करता है। अपेक्षा है कि जिस तरह इस आश्रम ने आजादी के आंदोलन में कांग्रेस के लिए जमीन तैयार की, उसी तरह इस बार भी यह पार्टी में नई जान फूंकने का माध्यम बनेगा। इसकी उम्मीद इसलिए भी की जा...