अमरोहा, जुलाई 3 -- क्षेत्र के शेखुपुर झकड़ी गांव में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास छवी नाथ दुबे ने भगवान श्रीराम की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि पूजा में भाव की महत्ता होती है, क्योंकि प्रभु सिर्फ भक्त के भाव को देखते हैं। यदि राम को पाना चाहते हैं, तो वे हमें केवल अनुराग से ही प्राप्त होंगे, और हमें उनकी छवि को अपने मन में बसाना होगा। कहा कि जब श्रीराम ने दशरथ नंदन के रूप में माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया तो अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ गई। दासियां दौड़ पड़ीं, अयोध्या सजने लगी और हर जन में उत्साह छा गया। पूरे नगर में शहनाई की गूंज सुनाई दे रही थी। श्रीराम की बाल लीला संसार की सबसे सकारात्मक, सुखद और आनंदमयी लीला है। भगवान राम की बाल लीला में ही उनका साम्यवादी चिंतन और उनका क्रियात्मक रूप स्पष्ट होता है। जब वे महाराज...