औरंगाबाद, जून 16 -- जिले के किसान उत्तर कोयल नहर और हड़ियाही (बटाने) जलाशय परियोजनाओं पर निर्भर हैं। मगर ये दोनों परियोजनाएं दशकों से अधूरी हैं। हर साल रोपनी का मौसम आता है लेकिन समय से नहरों में पानी नहीं पहुंचता। किसान बारिश की आस में रहते हैं जबकि इन परियोजनाओं को लेकर सियासी वादों का शोर तेज रहता है। 53 वर्ष पूर्व शुरू हुई उत्तर कोयल नहर परियोजना के कुटकु डैम को आज भी फाटक लगने का इंतजार है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद नहर के जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ पर इसकी रफ्तार धीमी है। बरसात आ गया पर जीर्णोद्धार का काम पूरा नहीं हुआ है और किसान बारिश के भरोसे हैं। इधर 1975 में शुरू हुई हड़ियाही (बटाने) जलाशय परियोजना भी 50 साल बाद अधूरी पड़ी है। बटाने नदी पर बने 17 मीटर ऊंचे डैम में सात फाटक हैं लेकिन मुआवजा विवाद के कारण इन्हें वेल्...