उन्नाव, अप्रैल 21 -- उन्नाव। हसनगंज क्षेत्र में किसान परंपरागत खेती में छोड़कर फूलों और औषधीय खेती में रूचि ले रहे है। कृषि आश्रित किसानों का मानना है कि परंपरागत खेती में अधिक परिश्रम और खर्च अधिक बढ़ गया है। जब कि बिक्री रेट कम रहता है। जिससे खेती का खर्च नहीं निकल पाता है। किसानों जीवन यापन में सहूलियत के रही औषधीय पौधे गुलखैरा की खेती बडे पैमाने पर कर रहे हैं। इसकी खेती में कम लगात आती है। जब कि रेट अच्छा मिलने से किसानों को मुनाफा बढ़िया मिल जाता है। गुलाबी, बैंगनी और सफेद फूलों वाली गुलखैरा का प्रयोग कई आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में प्रयोग होता है। रामचंद्र सिंह व छोटेलाल ने बताया कि फसल की खास बात ये है कि इसके पौधों के सभी पार्ट पत्ती, तना व बीज सब सुखा कर बाजार में अच्छे दाम में बिक जाता है। साल में एक बार होने वाली ये फसल किसानों...