नई दिल्ली, फरवरी 14 -- नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अदालतें विधायिका को किसी खास तरीके से कानून बनाने का आदेश नहीं दे सकतीं। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें शिकायतकर्ता/पीड़ितों को आपराधिक मामले में आरोपपत्र की प्रति निशुल्क मुहैया कराने का आदेश देने की मांग की गई थी। हालांकि केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि नये कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में शिकायतकर्ता/ पीड़ितों को प्राथमिकी और आरोपपत्र की प्रति निशुल्क देने का प्रावधान है। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर विचार करने से इनकार हुए कहा कि 'संसद ने हर पहलू पर विचार करने के बाद एक नया कानून बनाया है। पीठ ने कहा कि रिट अध...
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