आरा, जून 28 -- पीरो, संवाद सूत्र चातुर्मास व्रत स्थल पीरो के प्रखंड के परमानन्द नगर में संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने शनिवार को अतिथियों के महत्व को समझाया। स्वामी जी ने कहा अतिथि का स्वागत पूरे सम्मान के साथ होना चाहिए। घर में जितनी ही व्यवस्था उपलब्ध हो, उसके अनुसार अतिथियों का आतिथ्य करना चाहिए। पत्ता, फूल, फल, जल और प्रेम के साथ अतिथि का स्वागत करें। यदि ये सब वस्तुएं उपलब्ध न हों तो कम से कम जल के साथ भी आतिथ्य सत्कार करना चाहिए। अतिथि का मतलब वैसा गेस्ट जो बिना तिथि बताए आता हो, उसे अतिथि कहा जाता है। स्वामी जी ने राजा परीक्षित की वंश परंपरा पर प्रकाश डालते हुए बताया । भगवान श्री कृष्णा विदुर जी के घर पर पहुंचते हैं, जहां पर विदुर जी की पत्नी भगवान श्री कृष्ण जी का स्वागत करती हैं। विदुर जी की पत्नी भगवान श्री कृ...