नई दिल्ली, नवम्बर 3 -- दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया कि देश में किसी भी लॉ स्टूडेंट को न्यूनतम अटेंडेंस की कमी के कारण परीक्षा में बैठने से रोका नहीं जा सकता। हाई कोर्ट ने लॉ कॉलेजों में अनिवार्य अटेंडेंस की जरूरत के संबंध में कई निर्देश जारी करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से अनिवार्य अटेंडेंस नियमों में बदलाव करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि अटेंडेंस की कमी के कारण स्टूडेंट का अगले सेमेस्टर की क्लास में प्रमोशन नहीं रोका जा सकता। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और शर्मा की बेंच ने यह आदेश 2016 में लॉ स्टूडेंट सुशांत रोहिल्ला की आत्महत्या के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुरू की गई एक स्वतः संज्ञान याचिका का निपटारा करते हुए दिया। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि उसे जरूरी अटेंडेंस की कमी के कारण सेमेस्टर परीक्षा में बैठने से रोक...