खगडि़या, मार्च 5 -- परबत्ता । एक प्रतिनिधि अंग्रेजी हुकूमत निरंकुश शासक में क्षेत्र के लोगो क़ो आर्थिक मजबूती प्रदान करने वाला खादी ग्रामोद्योग आज उनके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहा है, लेकिन सरकार व विभाग इसके प्रति उदासीन बने हुए हैं। इसे पुनजीर्वित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। बुजुर्गो की मानें तो इस क्षेत्र के लोग आजादी के पूर्व से ही बापू के चरखे के दीवाने थे, लेकिन आज बापू के चरखे की संगीत सुनाई नहीं पड़ रही है। जानकारी के अनुसार अंग्रेजी हुकूमत निरंकुश शासनकल में आजादी के पूर्व वर्ष 1927 में ही प्रखंड के कन्हैयाचक, डुमरिया बुजुर्ग खजरैठा, माधवपुर, कबेला आदि में खादी भंडार की स्थापना की जा चुकी थी। स्थापना के बाद प्रखंड के दर्जनों गांवों की महिलाएं व पुरुष गांधी के चरखे की संगीत की धुन के दीवाने हो गए थे। गांव की हजार...
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