लखनऊ , नवम्बर 06 -- देश-विदेश के रुधिर विज्ञान विशेषज्ञों, चिकित्सकों, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ की उपस्थिति में चार दिवसीय "हेमेटोकॉन 2025" का शुभारंभ गुरुवार को लखनऊ के एक निजी होटल में हुआ। सम्मेलन का पहला दिन प्री-कॉन्फ्रेंस सत्रों को समर्पित रहा, जिसमें रुधिर विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।
सम्मेलन में बीएचयू वाराणसी के प्रोफेसर विजय तिलक ने बुजुर्गों में एनीमिया (रक्ताल्पता) की बढ़ती समस्या पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इसे "जन स्वास्थ्य संकट" बताया। उन्होंने कहा कि विश्व की लगभग 24 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी एनीमिया से प्रभावित है, और इस बीमारी से जुड़ी मृत्यु दर लगभग 40 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि बढ़ती उम्र में परिवारजन अक्सर एनीमिया के लक्षणों को सामान्य मानकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यह स्मृति ह्रास और डिमेंशिया जैसी स्थितियों से भी जुड़ा हो सकता है।
प्रो. तिलक ने बताया कि बुजुर्गों में एनीमिया के प्रमुख कारणों में आयरन की कमी, विटामिन B12 और फोलिक एसिड की कमी, सूजन तथा कैंसर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों में एनीमिया के कारण अक्सर युवाओं से अलग होते हैं जैसे जठरांत्र संबंधी विकृतियाँ एक सामान्य कारण हैं। उन्होंने चेताया कि एनीमिया के निदान में सबसे बड़ी चुनौती गलत पहचान है, और प्रत्येक बुजुर्ग व्यक्ति को वर्ष में कम से कम एक बार सीबीसी जांच अवश्य करानी चाहिए।
सम्मेलन में रुधिर विज्ञान, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, नर्सिंग, लैब तकनीक और बाल रुधिर रोगों से संबंधित कई सत्र आयोजित किए गए। इस अवसर पर 600 से अधिक डॉक्टर, नर्सिंग उम्मीदवार, लैब तकनीशियन और ट्रांसफ्यूजन विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित