भोपाल , नवंबर 21 -- मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के रवींद्र भवन में शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. मनमोहन वैद्य की पुस्तक 'हम और यह विश्व' का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में भारत की मूल अवधारणा, आत्मगौरव, सांस्कृतिक चेतना और अध्ययनशील परंपरा पर विस्तृत चर्चा हुई। इस अवसर पर ऋतेश्वर जी महाराज, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जागरण समूह के संपादक विष्णु त्रिपाठी, सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली तथा लेखक डॉ. मनमोहन वैद्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारत को बनाने से पहले भारत को मानना, जानना और अपने भीतर उतारना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि संघ से जुड़े संवाद और जिज्ञासा समाज में तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2018 में सिर्फ छह दिनों में 378 लोगों ने उनसे मिलने का अनुरोध किया था। उन्होंने यह भी बताया कि संघ पर किया गया अनावश्यक विरोध कई बार उसकी स्वीकार्यता और आकर्षण को और बढ़ा देता है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति एक ही मूल से उद्भूत है, जो विविध रूपों में प्रकट होती है।
जागरण समूह के संपादक विष्णु त्रिपाठी ने कहा कि यह पुस्तक अध्ययन, मनन और विमर्श के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा किसी एक मत पर आधारित नहीं है, बल्कि ज्ञान की अनेक धाराओं से निर्मित है। भारत की पहचान पर अनावश्यक बहसें केवल अध्ययन के अभाव से पैदा होती हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पुस्तक सोए हुए को जगा देने की क्षमता रखती है। उन्होंने कहा कि 'हम और यह विश्व' भारत के अतीत का दर्पण और भविष्य की दिशा का मार्गदर्शक है। उन्होंने बताया कि पुस्तक में श्री प्रणब मुखर्जी पर दो महत्वपूर्ण लेख भी शामिल हैं।
सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली ने बताया कि यह पुस्तक आठ वर्षों के अनुभवों का सार है, जिसमें भारत के बड़े विमर्शों और वैचारिक परंपराओं पर नए आयाम प्रस्तुत किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आगामी समय में भी सुरुचि प्रकाशन समाज जीवन से जुड़े गंभीर विषयों पर नए प्रकाशन लाने जा रहा है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और बौद्धिक समुदाय से जुड़े लोग उपस्थित रहे। संचालन डॉ. साधना बलवटे ने किया और अंत में अंकुर पाठक ने सभी अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम् के साथ हुआ।
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