हैदराबाद , अक्टूबर 17 -- सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने शुक्रवार को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के नव नियुक्त अधिकारियों से राष्ट्र सेवा की शुरुआत करते समय ईमानदारी, करुणा और साहस बनाए रखने की अपील की।

श्री चौधरी ने सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए) में पासिंग आउट परेड के दौरान नियमित भर्ती (77आरआर) के 77वें बैच को संबोधित करते हुए कहा, "पुलिसिंग केवल एक पेशा नहीं है, बल्कि त्याग और सेवा में निहित एक आह्वान है।"उन्होंने कहा, "परंपरा और त्याग से सराबोर यह मैदान नेताओं की पीढ़ियों के निर्माण का गवाह रहा है। आज, उस विरासत को आगे बढ़ाने की आपकी बारी है।" इस दौरान उन्होंने परेड कमांडर अंजित ए. नायर और सभी प्रतिभागियों की अनुशासन और सटीकता के अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए सराहना की।

वर्ष 1948 में स्थापना के बाद से भारतीय पुलिस सेवा की विरासत पर विचार करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि यह सेवा कानून, व्यवस्था और न्याय का एक स्तंभ बनी हुई है, जो आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद से लेकर साइबर अपराध, वित्तीय धोखाधड़ी और कट्टरपंथ तक नई चुनौतियों का सामना करने के लिए लगातार विकसित हो रही है। सेवा के सामने चुनौतियाँ लगातार विकसित हो रही हैं। उन्होंने युवा अधिकारियों से इन चुनौतियों का सामना साहस, सहानुभूति और व्यावसायिकता के साथ करने का आग्रह किया। बीएसएफ प्रमुख ने कहा कि पुलिसिंग का भविष्य स्मार्ट, सख्त और संवेदनशील होना चाहिए - आधुनिक और मोबाइल, सतर्क और जवाबदेह, विश्वसनीय और उत्तरदायी।" एक बल गुणक के रूप में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए, बीएसएफ प्रमुख ने अधिकारियों को याद दिलाया कि प्रभावी पुलिसिंग अंततः जनता के विश्वास पर निर्भर करती है।

उन्होंने कहा, "थाने किसी भी नागरिक के लिए संपर्क का पहला बिंदु होता है। इसकी कार्यप्रणाली किसी भी चीज़ से ज़्यादा आपके नेतृत्व को प्रतिबिंबित करेगी।" शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व का उल्लेख करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि पुलिसिंग में स्वास्थ्य कोई विलासिता नहीं, बल्कि एक अनिवार्य संपत्ति है। उन्होंने कहा, "जब आप मज़बूत, सतर्क और लचीले होते हैं, तभी आप अपनी टीम को प्रेरित कर सकते हैं और अथक ऊर्जा के साथ राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं।" उन्होंने अधिकारियों से नौकरी की व्यस्तता के बावजूद अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। अकादमी के शिक्षकों और कर्मचारियों को उनके समर्पण के लिए बधाई देते हुए उन्होंने कहा, "आप केवल भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी नहीं हैं, आप न्याय के प्रहरी, कमज़ोरों की ढाल और भारतीय राज्य का प्रत्यक्ष चेहरा हैं।"उन्होंने कहा कि 140 करोड़ लोगों का भरोसा आपके कंधों पर टिका है। इसे गर्व और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ाएँ।

इससे पहले, अपने संबोधन में, एसवीपीएनपीए के निदेशक अमित गर्ग ने कहा कि अकादमी को 77वें नियमित भर्ती बैच को प्रशिक्षित करने पर गर्व है, जिसमें 62 महिलाओं सहित 174 आईपीएस अधिकारी और 16 विदेशी प्रशिक्षु शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 45-सप्ताह का यह कार्यक्रम इंटरैक्टिव लर्निंग, सिमुलेशन और फील्ड अभ्यास के माध्यम से पेशेवर क्षमता निर्माण पर केंद्रित रहा। उन्होंने बताया कि नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के साथ अद्यतन पाठ्यक्रम, सिद्धांत को व्यावहारिक और व्यवहारिक कौशल के साथ जोड़ता है।

प्रशिक्षण में आधुनिक पुलिसिंग चुनौतियों के लिए अधिकारियों को तैयार करने के लिए फोरेंसिक विज्ञान, साइबर अपराध, मानवाधिकार, शारीरिक फिटनेस और हथियार संचालन को भी शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'स्मार्ट' पुलिसिंग के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए सख्त और संवेदनशील, आधुनिक और मोबाइल, सतर्क और जवाबदेह, विश्वसनीय और उत्तरदायी, और तकनीक-प्रेमी बनाया गया है। श्री गर्ग ने प्रशिक्षुओं को उनके समर्पण के लिए बधाई दी और उन्हें ईमानदारी और व्यावसायिकता के साथ सेवा करने का आग्रह किया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित