नैनीताल , अक्टूबर 13 -- उत्तराखंड के नैनीताल जिला पंचायत चुनाव में हिंसा और पुनर्मतदान को लेकर दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सोमवार को जांच अधिकारी से 15 अक्टूबर तक जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है जबकि पुनर्मतदान के मामले में चुनाव आयोग से आपत्ति पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने आज दोनों प्रकरणों पर सुवनवाई की। विगत 14 अगस्त को नैनीताल जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में कथित हिंसा के मामले का उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है और इसमें जनहित याचिका दायर की है। वहीं दूसरे मामले को कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट की ओर से चुनौती दी गयी है।
चुनाव के दौरान हिंसा मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत की ओर से कहा गया कि इस मामले में छह अभियोग दर्ज हैं लेकिन सरकार की ओर से दोषियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। सिर्फ तल्लीताल के थाना प्रभारी को ही निलंबित किया गया है।
सरकार की ओर से कहा गया कि इस प्रकरण की जांच अब विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) से सीआईडी को सौंपी दी गयी है। जांच जारी है। अंत में पीठ ने जांच अधिकारी से 48 घंटे के अंदर जांच की प्रगति रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में अदालत में पेश करने के निर्देश दे दिये। इस मामले में 15 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
इसके अलावा पुनर्मतदान को लेकर पूनम बिष्ट की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता के संशोधन प्रार्थना पत्र पर राज्य निर्वाचन आयोग को आपत्ति पेश करने को कहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश प्रार्थना पत्र में कहा गया कि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से मुनर्मतदान की मांग को अस्वीकार कर दिया गया है। इसके बाद अदालत ने प्रदेश निर्वाचन आयोग को प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दर्ज करने के निर्देश दे दिये हैं। इस मामले में आगामी 27 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
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