जयपुर , अक्टूबर 06 -- राजस्थान में हेरिटेज एवं ग्रेटर नगर निगमों का विलय करके एक निगम बनाने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय में सोमवार को सुनवाई हुई।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने जवाब पेश करते हुए याचिका को निराधार और राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रेरित बताया।
सरकार ने न्यायालय को बताया कि नगर निगमों का विलय प्रशासनिक स्तर पर किया गया है और यह निर्णय पुराने अनुभवों के आधार पर लिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से जवाब के प्रति जवाब दायर करने के लिए समय मांगा गया।
न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा एवं न्यायमूर्ति बी.एस. संधु ने याचिकाकर्ता को 30 अक्टूबर तक का समय दिया है। अदालत ने यह आदेश कांग्रेस नेता आर.आर. तिवाड़ी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिये।
श्री तिवाड़ी ने अपनी याचिका में स्वायत्त शासन विभाग की 27 मार्च 2025 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा एवं सुनील शर्मा ने पैरवी की।
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