रांची , दिसंबर 01 -- झारखंड में छात्रवृत्ति वितरण में लगातार हो रही देरी को लेकर प्रदेश प्रवक्ता राफ़िया नाज़ ने हेमंत सरकार पर कड़ा प्रहार किया और कहा कि यह स्थिति राज्य कीप्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़ा करती है।

श्रीमती नाज ने कहा कि जब सरकारी बजट और संसाधन विभिन्न गैर-शैक्षणिक गतिविधियों, प्रचार कार्यक्रमों और दिखावटी खर्चों पर बेहिसाब रूप से उपलब्ध हो सकते हैं, तो बच्चों की बुनियादी छात्रवृत्ति के लिए वही तत्परता क्यों नहीं दिखाई जाती।

श्रीमती नाज़ ने कहा कि सरकार एक ओर रोजगार देने और शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा करती है, रोज़गार नहीं मिलने पर बेरोज़गारी भत्ता देने की बात करती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि 2023‑24 से 2024‑25 तक कई जिलों में छात्रवृत्ति भुगतान नहीं हुआ है। विशेषकर ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्ग के कई छात्र पोस्ट‑मैट्रिक स्कॉलरशिप से पूरी तरह वंचित हैं।

श्रीमती नाज ने बताया कि धनबाद और पूर्वी सिंहभूम इसका जीवंत उदाहरण हैं:धनबाद में 25,000 से अधिक उच्च शिक्षा प्राप्त OBC छात्रों को कई महीनों से छात्रवृत्ति नहीं मिली।

पूर्वी सिंहभूम में कॉलेज स्तर पर 500 और प्री‑मैट्रिक स्तर पर 10,459 छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिली।

रांची में 2023‑24 के प्री‑मैट्रिक स्कॉलरशिप में लगभग 74,353 छात्रों का भुगतान लंबित है।यह दर्शाता है कि छात्रवृत्ति का संकट सीमित इलाकों तक सीमित नहीं, बल्कि राज्यव्यापी है। फ़्री एजुकेशन, महिला शिक्षा और युवा विकास जैसे बड़े वादे केवल घोषणाओं तक सीमित रह गए हैं, क्योंकि ज़मीन पर बच्चों को उनके अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं पर सरकार पूरी तरह मस्त हैं अपने नेताओं को सुख सुविधा देने में । उन्होंने कहा केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का जाल भी टूट चुका है विधवा, वृद्ध, विकलांग पेंशन देने में भी असफल हैं हेमंत सरकार और मइयाँ सम्मान के नाम पर केवल राजनीतिक नौटंकी कर रही हैं ।

श्रीमती नाज ने कहा कि यह बेहद पीड़ादायक है कि छात्र-जो किताबों और कक्षाओं में होने चाहिए थे-आज मजबूरी में धरनों पर बैठे हैं। अनेक विद्यार्थी आर्थिक स्थिति के कारण पढ़ाई छोड़कर मज़दूरी करने को विवश हो गए हैं। यह न केवल शिक्षा व्यवस्था की विफलता है, बल्कि युवाओं के सपनों और भविष्य पर गंभीर आघात भी है।

श्रीमती नाज ने जोर दिया कि छात्रवृत्ति केवल राशि नहीं, बल्कि उन विद्यार्थियों की जीवनरेखा है, जिनके परिवार सीमित संसाधनों के बावजूद अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। यदि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे की अनदेखी करती रही, तो इसका सीधा प्रभाव राज्य के युवाओं के भविष्य और सामाजिक संतुलन पर पड़ेगा।

श्रीमती नाज़ ने कहा कि हेमंत सरकार को लंबित छात्रवृत्तियों का तुरंत वितरण सुनिश्चित करना चाहिए ताकि छात्रों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करना पड़े और राज्य का युवा वर्ग सुरक्षित, समर्थ और शिक्षित बना रहे।

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