नयी दिल्ली , अक्टूबर 08 -- उच्चतम न्यायालय ने एक युवक की हिरासत में मृत्यु के मामले में आरोपी मध्य प्रदेश के दो पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी में 'अत्यधिक देरी' पर बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने संबंधित मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ये गिरफ्तारियाँ अदालत द्वारा अवमानना की कड़ी चेतावनी दिए जाने के बाद ही की गईं।
अवमानना याचिका में अदालत के 15 मई, 2025 के पूर्व आदेश की जानबूझकर अवज्ञा का आरोप लगाया गया था, जिसमें सीबीआई को दोनों पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया था।
यह मामला मध्य प्रदेश के 26 वर्षीय देवा पारधी की हिरासत में मौत के से संबंधित है।
शीर्ष अदालत ने सीबीआई के हलफनामे पर गौर करते हुए गहरी नाराजगी व्यक्त की। इस हलफनामे में कहा गया था कि दोनों फरार अधिकारियों को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। एक को 27 सितंबर को और दूसरे को 5 अक्टूबर को।
पीठ की ओर से न्यायमूर्ति नागरत्ना ने सीबीआई के अधिवक्ता से कहा, "इतने दिनों में क्या हुआ? आप उनका पता क्यों नहीं लगा पाए? आपको कार्रवाई करने के लिए हमें लगभग अवमानना के आरोप लगाने पड़े। शीर्ष अदालत के आदेश का पालन इस तरह नहीं होना चाहिए। उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दिया था।"न्यायमूर्ति महादेवन ने कहा, "इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई की गई है? इस अदालत के गिरफ्तारी के स्पष्ट आदेश के बावजूद उन्होंने अग्रिम ज़मानत की अर्जी तक दे दी।"न्यायालय ने राज्य सरकार से दोनों आरोपी अधिकारियों के विरुद्ध की गई विभागीय कार्रवाई पर एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा। इन स्पष्टीकरणों को दाखिल करने के लिए मामले की सुनवाई आगामी 06 नवंबर तक स्थगित कर दी गई है।
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