शिमला , नवंबर 26 -- हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने फतेहपुर उपखंड के शाह नहर क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन पर रोक लगाने के पुलिस को निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायमूर्ति जियालाल भारद्वाज की एक पीठ ने नहर के आसपास निरंतर चल रहे खनन और उसे रोकने में प्रशासन की विफलता के खिलाफ दायर की गयी एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया है।
फतेहपुर के उपखंड मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ने नहर के आसपास रेत और खनिजों के अवैध खनन की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित करते हुए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की थी, जिसके बाद न्यायालय ने यह फैसला लिया। न्यायालय ने कड़ी निगरानी अनिवार्य करते हुए आदेश दिया कि किसी भी सूरत में अवैध खनन जारी नहीं रहना चाहिए।
सुनवाई के दौरा याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि भारी कमर्शियल गाड़ियां अवैध खनन से निकाले गए खनिजों को ले जाने के लिए सड़क संख्या 7315 और 7910 इस्तेमाल कर रही थीं, जो सिर्फ किसानों के इस्तेमाल के लिये है। भारी गाड़ियों की आवाजाही रोकने के लिए बनाया गया छोटा दरवाज़ा खनन माफिया ने हटा दिया था। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष सबूत के तौर पर तस्वीरें पेश करते हुए कहा कि उसकी जगह एक नया दरवाज़ा लगाया गया था, ताकि नहर के पुल से पंजाब में प्रवेश आसान हो सके और टैक्स चोरी की जा सके।
न्यायपीठ ने इन आरोपों को संज्ञान में लेते हुए प्रतिवादियों को जानकारी इकट्ठा करने के लिए समय दिया। मामले की अग्रिम सुनवाई 30 दिसंबर को होगी। नहरों के आसपास अवैध खनन का मामला इससे पहले भी उच्च न्यायालय के पास आ चुका है। न्यायालय ने राज्य सरकार और जल शक्ति विभाग को जरूरी कदम उठाने का निर्देश भी दिया था। अदालत के समक्ष प्रस्तुत की गयी पिछली याचिका इसलिए वापस ले ली गयी थी क्योंकि प्रतिवादी पक्ष ने कानून के पालन का दावा किया था। अदालत ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर ये समस्याएं दोबारा उजागर होती हैं तो याचिकाकर्ता पुनः न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
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