शिमला , दिसंबर 27 -- हिमाचल प्रदेश सरकार औद्योगिक भांग की आर्थिक और कृषि क्षमता को फिर से परिभाषित करने के लिए आगे बढ़ी है और उसे भांग की विनियमित खेती से 1,000 करोड़ से 2,000 करोड़ रुपये के बीच अतिरिक्त वार्षिक राजस्व होने की उम्मीद है।

राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने औद्योगिक, वैज्ञानिक और औषधीय उद्देश्यों के लिए इसकी नियंत्रित खेती को बढ़ावा देने के लिए एक स्पष्ट नीति ढांचे की रूपरेखा तैयार की है।

सरकार की यह पहल 2027 तक आत्मनिर्भर हिमाचल के राज्य के व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भांग को ग्रामीण आय, औद्योगिक विकास और राज्य के खजाने में योगदान देने वाले एक जैव-संसाधन में बदलना है।

श्री सुक्खू ने कहा कि कुल्लू, मंडी और चंबा जैसे जिलों में दशकों से भांग प्राकृतिक रूप से उगाई जाती है, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों के चश्मे से देखा जाता है। नई नीति इसे एक औद्योगिक संपत्ति के रूप में पुनः स्थापित करने का प्रयास करती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिक भांग ने विशेष रूप से औषधीय महत्व स्थापित किया है। वह दर्द और सूजन कम करने या मिटाने में एक ओर जहां कारगर है। वहीं इसका कपड़ा और परिधान क्षेत्र, कागज और पैकेजिंग, सौंदर्य प्रसाधन और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों और जैव ईंधन तथा ऊर्जा उद्योगों में भी उपयोग किया जाता है।

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