नयी दिल्ली , दिसंबर 02 -- सरकार ने संसद के उच्च सदन में बताया है कि उसकी क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देने वाली 'उड़ान योजना' हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख हवाई अड्डों पर ठप पड़ गई है। इसके परिणामस्वरूप, शिमला, कुल्लू-मनाली और धर्मशाला में कोई भी हवाई सेवा चालू नहीं है।

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने उच्च सदन को दिए एक लिखित उत्तर में पुष्टि की कि ये तीनों ऊँचाई वाले हवाई अड्डे देश भर के 15 उड़ान-पुनर्जीवित हवाई पट्टियों में शामिल हैं। यहां से वर्तमान में उड़ान संचालन निलंबित है। सरकार ने इस ठहराव के पीछे वाणिज्यिक, परिचालन और बुनियादी ढाँचे से संबंधित बाधाओं के मिलेजुले कारकों का हवाला दिया है।

शिमला हवाई अड्डा पर संचालन को बनाए रखने के लिए योजना के तहत 116 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जाने के बावजूद, रनवे की सीमाओं, पेलोड प्रतिबंधों और एयरलाइनों की वापसी के कारण सेवाओं को हाल ही में निलंबित कर दिया गया था। हिमाचल की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार कुल्लू-मनाली और धर्मशाला हवाई अड्डे भी लगातार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। बार-बार मौसम का व्यवधान, एयरलाइनों के लिए उच्च परिचालन लागत, और पहाड़ी इलाके के लिए उपयुक्त सीमित विमान क्षमता ने उड़ान योजना के तहत संचालन को व्यावसायिक रूप से अस्थिर बना दिया है।

लिखित उत्तर में हिमाचल प्रदेश को पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक जैसे राज्यों के समान वर्ग में रखा गया है, जहाँ लुधियाना, पठानकोट, पाकयोंग, कुशीनगर, राउरकेला, भावनगर और अन्य सहित कई पुनर्जीवित हवाई अड्डों पर उड़ान योजना के तहत पहले परिचालन शुरू होने के बावजूद वर्तमान में कोई निर्धारित सेवाएँ नहीं हैं।

यह जानकारी तब सामने आयी जब सरकार ने इस योजना की व्यापक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कुल 651 मार्ग और 93 गैर-सेवारत तथा कम-सेवारत हवाई अड्डों के साथ-साथ 15 हेलीपोर्ट और दो जल एरोड्रोम को भारत के विमानन मानचित्र में जोड़ा गया है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित