शिमला , नवंबर 10 -- हिमाचल प्रदेश का किन्नौर जिला सर्दियों में हिमालय पार से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए एक अन्य पसंदीदा गंतव्य बन गया है।

सांगला घाटी में बस्पा नदी पर स्थित कुप्पा बांध लगभग 20 प्रवासी पक्षी प्रजातियों को सर्दियों के मौसम में आकर्षित कर रहा है। यह बांध रक्छम-चितकुल वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित है।

वन विभाग के वन्यजीव प्रकोष्ठ के अनुसार, बांध पर मैलार्ड, यूरेशियन विगॉन, कॉमन पोचार्ड, कॉमन टील, नॉर्दर्न शॉवलर, नॉर्दर्न पिंटेल, इबिसबिल, गैडवाल, ब्राउन डिपर, व्हाइट-कैप्ड रेडस्टार्ट और प्लम्बियस वाटर रेडस्टार्ट जैसी प्रजातियां देखी गयी हैं।

उच्च हिमालय और पार-हिमालयी क्षेत्रों में ऊंचाई पर स्थित नदियां और झीलें जब जम जाती हैं, तो ये पक्षी प्रतिवर्ष प्रवास करते हैं।

डिप्टी रेंजर संतोष ठाकुर ने बताया कि हल्की सर्दी और भरपूर भोजन की उपलब्धता के कारण कुप्पा बांध इन पक्षियों के लिए एक आदर्श आवास बन गया है।

श्री ठाकुर ने कहा, " पक्षियों के लिए बस्पा नदी के रेतीले और पथरीले किनारों पर कीड़े-मकोड़े, लार्वा, शैवाल और जलीय पौधों की भरपूर उपलब्धता है। यहां भोजन की कोई कमी नहीं है।"उन्होंने बताया कि ये पक्षी नवंबर से मार्च तक इस क्षेत्र में रहते हैं और बर्फ पिघलने पर उत्तर की ओर लौट जाते हैं।

सराहन के वन अधिकारी अशोक नेगी ने पुष्टि की कि विभाग के आवधिक वन्यजीव सर्वेक्षणों में प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति में लगातार वृद्धि दर्ज की गयी है। उन्होंने कहा, " इस वर्ष कुप्पा बाँध में लगभग 20 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है।"विशेषज्ञ बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्र में कृत्रिम झीलों और बांधों के निर्माण से नये जलीय पारिस्थितिक तंत्रों का निर्माण हुआ है, जो इन प्रवासी पक्षियों को बड़ी संख्या में आकर्षित करते हैं।

पक्षियों की बढ़ती गतिविधि अब पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित कर रही है, जिससे किन्नौर की सुंदर सांगला घाटी में एक नया मनोरंजक आकर्षण पैदा हो रहा है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित