शिमला , नवम्बर 02 -- हिमाचल प्रदेश कैबिनेट के हाल के निर्णय के बाद पंचायती राज विभाग ने राज्यभर में पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज कर दी है। इस सिलसिले में विभाग ने सभी उपायुक्तों को पत्र भेजकर 15 दिनों के भीतर पंचायत पुनर्गठन के प्रस्ताव निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए हैं।
पिछले वर्ष विभाग ने पंचायतों से पुनर्गठन के प्रस्ताव आमंत्रित किए थे, जिनमें से अधिकांश प्रस्ताव सरकार को भेजे गए थे। कई क्षेत्रों में यह प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी थी। उस समय पाया गया था कि कुछ पंचायतों की सीमाएं एक से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में फैली हुई हैं, जिन्हें बाद में एक ही विधानसभा क्षेत्र में समायोजित किया गया। अब विभाग का कहना है कि कुछ प्रस्ताव लंबित रह गए और पुनर्गठन प्रस्ताव समय पर नहीं भेजे जा सके। विभाग ने कहा है कि जैसे ही शेष प्रस्ताव मिलेंगे, सरकार अंतिम निर्णय लेगी।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह फैसला दिसंबर में होने वाले पंचायत चुनावों में देरी का कारण बन सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग ने पहले ही मतदाता सूची सहित अधिकांश चुनावी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। इसके बावजूद राज्य की सुक्खु सरकार के अंतिम समय पर नई पंचायतें बनाने की पहल ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
निर्वाचन आयोग ने लगभग एक साल पहले ही सरकार से आग्रह किया था कि चुनाव समय पर कराने के लिए पुनर्गठन प्रक्रिया पहले पूरी की जाए। पंचायती राज विभाग ने भी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए थे कि 25 सितंबर तक आरक्षण रोस्टर तैयार कर लिया जाए।
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सरकार के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री बार-बार यह भरोसा दे रहे थे कि पंचायत चुनाव समय पर होंगे, लेकिन अब पुनर्गठन का नया आदेश जारी करना उस दावे के विपरीत है। श्री ठाकुर ने कहा कि पुनर्गठन के बाद जनता की आपत्तियाँ और दावे आमंत्रित करने की प्रक्रिया भी होगी, जिससे चुनाव और देर से होंगे।
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