शिमला , अक्टूबर 20 -- हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने करोड़ों रुपये के कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत द्वारा दोषी ठहराए गये किशन चंद की सज़ा स्थगित कर उन्हें ज़मानत दे दी है।

न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने शुक्रवार को आदेश पारित करते हुये शिमला की विशेष सीबीआई अदालत द्वारा 2015 में सुनायी गयी सज़ा को स्थगित करने की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली।

निचली अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के एक मामले में किशन चंद को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया था और प्रत्येक मामले में जुर्माने के साथ चार साल तक के कठोर कारावास की सजा सुनायी थी।

अपीलकर्ता ने इस आधार पर दोष सिद्धि को चुनौती दी थी कि निचली अदालत ने साक्ष्यों का उचित तरीके से नहीं निष्कर्ष नहीं निकाला और इस बात को नज़रअंदाज़ किया था कि केसीसी बैंक के नियमों के तहत, बंधक संपत्ति के स्पष्ट स्वामित्व को प्रमाणित करने की ज़िम्मेदारी पैनल में शामिल वकील की थी और इसमें बैंक अधिकारी की कोयी भूमिका नहीं है।

न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने कहा कि चूँकि अपील के निपटारे में काफी समय लगेगा और सज़ा निश्चित अवधि की है, इसलिए उच्चतम न्यायालय के उदाहरणों - भगवान राम शिंदे गोसाई बनाम गुजरात राज्य (1994) और भूपति सरताज ठाकोर बनाम गुजरात राज्य (2024) - के परिप्रेक्ष्य में सज़ा को स्थगित किया जाना ही उचित है। उन मामलों में कहा गया था कि अपीलीय अदालतें असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर, निश्चित अवधि की सज़ा को उदारतापूर्वक स्थगित कर सकती हैं।

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