लखनऊ, सितम्बर 26 -- इलाहाबाद उच्च न्यायालय और लखनऊ पीठ में सरकारी वकीलों की तैनाती प्रक्रिया को चुनौती मामले की सुनवाई अब दूसरी खंडपीठ करेगी।

मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को आदेश दिया कि इस मामले को उस बेंच के समक्ष पेश किया जाए, जिसमें हम न्यायाधीशों में से कोई सदस्य न हो। खंडपीठ ने मामले में सहयोग के लिए नियुक्त न्यायमित्र अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा के अनुरोध पर उन्हें दायित्व से मुक्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति से समुचित आदेश लेकर इस मामले को सूचीबद्ध किया जाए।

मामले में दाखिल जनहित याचिकाओं पर कई दिन से प्रतिदिन फाइनल सुनवाई चल रही थी। महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित थे। याचियों की बहस करीब पूरी हो चुकी थी और न्यायमित्र अधिवक्ता बहस कर रहे थे। आगे दशहरा और दीपावली के अवकाश की वजह से कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 अक्तूबर को प्रस्तावित की। इसपर, एक याचिका में निजी तौर पर पेश हुए अधिवक्ता मनेंद्र नाथ राय ने आपत्ति की।

अधिवक्ता ने, न्यायमित्र अधिवक्ता की चल रही बहस पर भी आपत्तियां उठाई। इसपर कोर्ट ने कुछ और कहे बिना आदेश दिया कि इस मामले को उस बेंच के समक्ष पेश किया जाए, जिसमें हम न्यायाधीशों में से कोई सदस्य न हो।

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