नैनीताल , नवंबर 13 -- उत्तराखंड के प्रसिद्ध कार्बेट पार्क की सीमा से सटे सुंदरखाल वनग्राम के विस्थापन के मामले में प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय को एक सप्ताह में वस्तुस्थिति से अवगत करायेगी।

सुंदरखाल से जुड़ी इंडिपेंडेंट मीडिया इनीशिएटिव सोसायटी और अन्य की ओर से दायर याचिका पर गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई हुई।

आज सरकार की ओर से आपदाग्रस्त इस गांव के विस्थापन के संबंध में कहा गया कि ग्रामीणों के विस्थापन का मामला शासन के पास विचाराधीन है। विस्थापन के लिए एक जगह पर एक साथ बड़ी मात्रा में भूमि की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।

इसके बाद खंडपीठ ने सरकार को एक सप्ताह में वस्तुस्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अब आगामी 21 नवंबर को सुनवाई होगी।

कार्बेट नगरी रामनगर से मात्र 13 किमी की दूरी पर बसा सुंदरखाल गांव वन संरक्षित क्षेत्र है। वर्ष 1975 में बसे इस गांव में आज भी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। गांव में बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं।

यही नहीं कोसी नदी के किनारे बसे होने के कारण इस गांव पर हर समय बाढ़ का खतरा बना रहता है। कार्बेट की सीमा पर बसे होने के कारण ग्रामीण हर समय जंगली जानवरों के साये में रहते हैं। ग्रामीण लंबे समय से विस्थापन और मूलभूत सुविधा मुहैया कराने की मांग करते आ रहे हैं।

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