रायपुर , नवंबर 26 -- छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग स्थित हसदेव अरण्य क्षेत्र में 1,742.60 हेक्टेयर वनभूमि को कोयला खनन और कोल वॉशरी परियोजना के लिए गैर-वन उपयोग में बदलने की राज्य सरकार द्वारा की गई सिफारिश के बाद प्रदेश की सियासत तेज है।
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस फैसले को पर्यावरण, आदिवासी अधिकारों और धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत पर सीधा प्रहार बताते हुए भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व का कहना है कि यह प्रस्ताव एक निजी औद्योगिक समूह को कोयला उत्खनन के लिए लाभ पहुंचाने की मंशा से बढ़ाया जा रहा है, जबकि सरकार का पक्ष है कि यह प्रक्रिया नियमानुसार है और परियोजनाएं विकास तथा रोजगार सृजन के लिए आवश्यक हैं।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय द्वारा बुधवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद यह प्रस्ताव अब केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्रेषित कर दिया गया है। कांग्रेस का दावा है कि यदि केंद्र से मंजूरी मिलती है, तो पांच लाख से अधिक पेड़ों की कटाई का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। पार्टी नेताओं ने कहा कि यह इलाका मध्य भारत का "लंग्स ज़ोन" कहलाता है, जिसकी हरियाली और जैव विविधता प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश की पारिस्थितिकी के लिए भी महत्वपूर्ण है। ओपन कास्ट कोल माइनिंग से जंगलों का विनाश, जलस्रोतों का क्षरण, वन्यजीवों-विशेषकर हाथियों का प्राकृतिक आवास नष्ट होने और आदिवासी समुदायों की परंपरागत आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंकाएं गहराई से उभर रही हैं।
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