हल्द्वानी , नवंबर 07 -- सीमांत क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और लोककलाओं का पर्व जोहार महोत्सव इस बार और भी भव्य रूप में मनाया जाएगा।
हल्द्वानी के एम.बी. इंटर कॉलेज परिसर में आठ से 10 नवंबर तक तीन दिवसीय जोहार महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। इस आयोजन को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं,सीमांत क्षेत्र से जुड़ी जोहार समिति और स्थानीय समुदाय मिलकर इसे दिव्य और सांस्कृतिक रूप देने में जुटे हैं।
जोहार महोत्सव का आयोजन पिथौरागढ़ जिले के चीन बॉर्डर से लगे मिलम घाटी के जोहार समुदाय के लोग करते हैं, जो अपनी विशिष्ट संस्कृति, परंपरा वेशभूषा और लोककला के लिए प्रसिद्ध हैं। कार्यक्रम के संयोजक कैलाश धर्मशक्तू ने बताया कि इस बार महोत्सव में कई नए सांस्कृतिक कार्यक्रम जोड़े गए हैं, आठ नवंबर को अपराह्न एक बजे एक भव्य सांस्कृतिक जुलूस के साथ मेले का शुभारंभ होगा। इसमें सीमांत क्षेत्र के लोगों की पारंपरिक पोशाकें, वाद्य यंत्र और नृत्य प्रस्तुतियां विशेष आकर्षण का केंद्र होंगी।
महोत्सव में पर्वतीय सीमांत क्षेत्र की जड़ी-बूटियों, औषधियों, हस्तशिल्प, लोककला और लोकसंस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। साथ ही स्थानीय उत्पादों को भी प्रदर्शित किया जाएगा ताकि इनका व्यावसायिक और सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार हो सके।
जोहार समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह पांगती ने बताया कि यह महोत्सव न सिर्फ जोहार घाटी की संस्कृति का प्रदर्शन है, बल्कि सीमांत क्षेत्र के लोगों के आपसी जुड़ाव और विरासत को सहेजने का माध्यम भी है। हमारा उद्देश्य नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि जोहार समुदाय की परंपराएं हजारों वर्षों पुरानी हैं और इस महोत्सव के माध्यम से उन्हें आधुनिक पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
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