हल्द्वानी , नवंबर 22 -- उत्तराखंड में स्थायी प्रमाणपत्रों के सत्यापन अभियान के दौरान हल्द्वानी प्रशासन को एक बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ने में सफलता मिली है। डेमोग्राफिक बदलाव से जुड़े मामलों की गहन जांच के बीच आज प्रशासन ने एक और फर्जी प्रमाणपत्र का मामला उजागर किया गया है।
जांच के दौरान पाया गया कि एक आवेदक ने अंजुमन मोमिन अंसार सोसाइटी, आज़ाद नगर, नैनीताल के नाम से जारी कथित "प्रमाणपत्र" प्रस्तुत किया गया था। संदेह होने पर सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी, उपजिलाधिकारी हल्द्वानी और तहसीलदार की संयुक्त टीम ने सोसाइटी के पते का सत्यापन किया लेकिन जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया-सोसाइटी अपने पंजीकृत पते पर नहीं थी।
स्थानीय स्तर पर पड़ताल करने पर पता चला कि एक व्यक्ति रईस अहमद अंसारी, जो साहूकर लाइन में दुकान चलाता है, वह इस सोसाइटी के नाम पर अवैध रूप से प्रमाणपत्र जारी कर रहा था। पूछताछ में रईस अहमद ने स्वीकार किया कि वह वर्ष 2007 से ऐसे फर्जी प्रमाणपत्र जारी कर रहा है।
रिकॉर्ड सत्यापन के दौरान यह भी सामने आया कि सोसाइटी 2007 के बाद कभी नवीनीकरण ही नहीं हुई, सोसाइटी के अध्यक्ष और महासचिव दोनों का निधन हो चुका है और संस्था पूरी तरह निष्क्रिय एवं अवैध स्थिति में है। इसके बावजूद रईस अहमद नाम का व्यक्ति खुद को अधिकृत दिखाकर लंबे समय से अवैध रूप से प्रमाणपत्र जारी कर रहा था।
सबसे गंभीर बात यह है कि इसी प्रकार के फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग कई लोगों द्वारा जाति, जन्म और निवास प्रमाणपत्र बनवाने के लिए किया जा चुका है। जबकि किसी भी सोसाइटी को इस तरह के सरकारी प्रमाणपत्र जारी करने का कानूनी अधिकार नहीं होता।
उपजिलाधिकारी हल्द्वानी ने तत्काल प्रभाव से आदेश दिया है कि इन फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर बने सभी जाति प्रमाणपत्रों की तत्काल जांच की जाए। टीम ने मौके से सभी संबंधित दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। साथ ही, अवैध प्रमाणपत्र जारी करने में शामिल रईस अहमद अंसारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
सोसाइटी से जुड़े सभी दस्तावेजों, गतिविधियों और संभावित लाभार्थियों की जांच जारी है। प्रशासन का कहना है कि डेमोग्राफिक बदलाव से जुड़े हर मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी और किसी भी प्रकार की फर्जी गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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