चंडीगढ़ , अक्टूबर 24 -- हरियाणा के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं लोक निर्माण मंत्री रणबीर गंगवा ने कहा कि राज्य सरकार अपने नागरिकों को स्वच्छ, पर्याप्त और निर्बाध जलापूर्ति उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। पेयजल की बर्बादी रोकने, लीकेज की समस्या के समाधान और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक नया कानून लाने पर काम कर रही है।
श्री गंगवा पंचकूला में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित अधिनियम का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना और नागरिकों को निर्बाध जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। अधिनियम का मसौदा तैयार हो चुका है और जल्द ही इसे विधानसभा में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जायेगा। मंत्री ने जनता से जल संरक्षण के लिए सरकार के प्रयासों में सहयोग करने और जल की बर्बादी रोकने की अपील की।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा आयोजित यह अपनी तरह की पहली कार्यशाला थी, जिसमें जूनियर इंजीनियर से लेकर ईआईसी स्तर तक के अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला में तकनीकी दक्षता बढ़ाने, जल गुणवत्ता सुधार, परियोजना क्रियान्वयन में पारदर्शिता, आधुनिक जल प्रबंधन, सीवरेज और बाढ़ नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया गया। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने भी अधिकारियों का मार्गदर्शन किया।
श्री गंगवा ने कहा कि सरकार का लक्ष्य गांवों में भी शहरी स्तर की सुविधायें उपलब्ध कराना है ताकि निवासियों को अपनी ज़रूरतों के लिए शहरों की ओर पलायन न करना पड़े। महाग्राम योजना के तहत 10,000 से अधिक आबादी वाले 148 गांवों की पहचान की गयी है। इनमें से 17 गांवों में जलापूर्ति, सीवरेज और एसटीपी व्यवस्थायें पूरी हो चुकी हैं, जबकि 30 गांवों में काम जारी है। अगले दो वर्षों के भीतर सभी चयनित गांवों को शहरी जैसी सुविधाओं से लैस कर दिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि विभाग को मानसून के बाद जलभराव की समस्या के समाधान के लिए व्यापक कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'हर घर नल से जल' विजन के अनुरूप हरियाणा को 'वाटर स्मार्ट स्टेट' बनाना सरकार की प्रतिबद्धता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अधिकारियों, कर्मचारियों और जनता के सामूहिक प्रयासों से हरियाणा देश का अग्रणी 'वाटर स्मार्ट स्टेट' बनेगा, जिसका अन्य राज्य भी अनुसरण करेंगे।
एक प्रश्न के उत्तर में श्री गंगवा ने बताया कि सीवरेज सिस्टम की मैन्युअल सफाई से बचने के सख्त निर्देश दिये गये हैं, ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना न हो। अधिकारियों को अगले 30 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक जल और सीवरेज योजनायें तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं।
उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत गांवों में जलघरों की स्थापना, पाइपलाइन बदलने और बूस्टिंग स्टेशन स्थापित करने जैसे कार्य किये जा रहे हैं। राज्य का कोई भी गांव ऐसा नहीं है, जहां एक से पांच करोड़ रुपये तक के विकास कार्य न हुए हों। वर्तमान में हरियाणा में 55 प्रतिशत जलापूर्ति ट्यूबवेल आधारित है, जबकि 45 प्रतिशत नहरी जल आपूर्ति पर निर्भर है।
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