एकता नगर , अक्टूबर 31 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को यहां कहा कि वर्ष 2014 के बाद हमारी सरकार ने नक्सल-माओवादी आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक अभियान चला रखा है।
श्री मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में गुजरात के एकता नगर में आयोजित समारोह में कहा कि शहरी इलाकों में रहने वाले नक्सल समर्थकों, शहरी नक्सलियों को भी दरकिनार कर दिया गया। वैचारिक लड़ाई जीती गयी और नक्सलियों के गढ़ों में सीधा मुकाबला किया गया। इसके परिणाम अब पूरे देश के सामने हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले देश के लगभग 125 जिले माओवादी आतंकवाद से प्रभावित थे। आज यह संख्या घटकर केवल 11 रह गयी है और केवल तीन जिले ही गंभीर नक्सलियों के प्रभाव का सामना कर रहे हैं। उन्होंने एकता नगर की धरती से राष्ट्र को आश्वासन दिया कि सरकार तब तक नहीं रुकेगी, जब तक देश नक्सल-माओवादी खतरों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो जाता।
श्री मोदी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में से बहुतों को शायद यह पता न हो कि सरदार वल्लभभाई पटेल कश्मीर के पूर्ण एकीकरण की इच्छा रखते थे, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने अन्य रियासतों का सफलतापूर्वक विलय किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने हालांकि उनकी इस इच्छा को पूरा नहीं होने दिया और कश्मीर को एक अलग संविधान और एक अलग प्रतीक द्वारा विभाजित किया गया। कश्मीर पर तत्कालीन सत्तारूढ़ दल की गलती ने देश को दशकों तक अशांति में डुबोए रखा। उनकी कमजोर नीतियों के कारण, कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में चला गया और पाकिस्तान ने आतंकवाद को और बढ़ावा दिया। कश्मीर और देश, दोनों ने इन गलतियों की भारी कीमत चुकायी, फिर भी, उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार आतंकवाद के आगे झुकती रही।
श्री मोदी ने सरदार पटेल के दृष्टिकोण को भुला देने के लिए वर्तमान विपक्षी दल की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने ऐसा नहीं किया। वर्ष 2014 के बाद, राष्ट्र ने एक बार फिर सरदार पटेल से प्रेरित दृढ़ संकल्प देखा। आज कश्मीर अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से मुक्त हो गया है और पूरी तरह से मुख्यधारा में शामिल हो गया है। पाकिस्तान और आतंकवाद के आकाओं को भी अब भारत की असली क्षमता का एहसास हो गया है। ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने देखा है कि अगर कोई भारत को चुनौती देने की हिम्मत करता है, तो देश दुश्मन की ज़मीन पर हमला करके जवाब देता है।
उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिक्रिया हमेशा मज़बूत और निर्णायक रही है। यह भारत के दुश्मनों के लिए एक संदेश है। उन्होंने कहा, " यह लौह पुरुष सरदार पटेल का भारत है और यह अपनी सुरक्षा और सम्मान से कभी समझौता नहीं करेगा। "प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में, पिछले 11 वर्षों में भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि नक्सल-माओवादी आतंकवाद की रीढ़ तोड़ना रही है। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2014 से पहले देश में हालात ऐसे थे कि नक्सल-माओवादी समूह भारत के मध्य से ही अपना शासन चलाते थे। इन इलाकों में भारत का संविधान लागू नहीं होता था और पुलिस एवं प्रशासनिक व्यवस्थाएं काम नहीं कर पाती थीं। नक्सली खुलेआम हुक्म चलाते थे, सड़क निर्माण में बाधा डालते थे और स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों पर बमबारी करते थे, जबकि प्रशासन उनके सामने बेबस नजर आता था। वर्ष 2014 के बाद, हमारी सरकार ने नक्सल-माओवादी आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक अभियान चलाया और शहरी इलाकों में रहने वाले नक्सल समर्थकों, शहरी नक्सलियों को भी दरकिनार कर दिया गया।
श्री माेदी ने कहा, " आज देश की एकता और आंतरिक सुरक्षा घुसपैठियों के कारण गंभीर ख़तरे में है, दशकों से विदेशी घुसपैठिए देश में आ गये हैं, नागरिकों के संसाधनों पर कब्ज़ा कर रहे हैं, जनसांख्यिकीय संतुलन बिगाड़ रहे हैं और राष्ट्रीय एकता को ख़तरे में डाल रहे हैं।"उन्होंने पिछली सरकारों की इस गंभीर मुद्दे पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचना करते हुए उन पर वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पहली बार देश ने इस बड़े ख़तरे से निर्णायक रूप से लड़ने का संकल्प लिया है। इस चुनौती से निपटने के लिए लाल किले से जनसांख्यिकी मिशन की घोषणा को याद किया और चिंता व्यक्त की कि आज भी, जब इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया जा रहा है, कुछ लोग राष्ट्रीय कल्याण पर निजी हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। ये लोग घुसपैठियों को अधिकार दिलाने के लिए राजनीतिक लड़ाई में लगे हुए हैं और राष्ट्रीय विघटन के परिणामों के प्रति उदासीन हैं।
प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि अगर राष्ट्र की सुरक्षा और पहचान ख़तरे में पड़ी, तो हर नागरिक ख़तरे में होगा। उन्होंने राष्ट्रीय एकता दिवस पर राष्ट्र से भारत में रह रहे प्रत्येक घुसपैठिये को बाहर निकालने के अपने संकल्प की पुष्टि की।
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