चंडीगढ़ , दिसंबर 01 -- पंजाब के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर द्वारा रविवार शाम को तरनतारन में पंजाब रोडवेज, पंजाब राज्य बस स्टैंड प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (पनबस) और पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (पीआरटीसी) अनुबंध कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ मैराथन बैठक के बाद हड़ताल वापस लेने की घोषणा के बावजूद कर्मचारियों द्वारा अपनी हड़ताल और धरना जारी रखने से पंजाब में सार्वजनिक परिवहन सोमवार को लगातार चौथे दिन भी बाधित रहा।
होशियारपुर में पनबस कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संदीप सिंह ने आरोप लगाया कि रविवार की बैठक के दौरान परिवहन मंत्री द्वारा दिये गये आश्वासनों का सम्मान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया था, या निलंबित किया गया था, उनके बारे में सरकार द्वारा जारी बहाली आदेशों में कहा गया है कि वे 'भविष्य में किसी भी धरने या विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं ले सकते, और अगर वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें फिरसे सेवा से हटा दिया जाएगा।'उन्होंने सरकार पर मज़दूरों के विरोध प्रदर्शन करने के लोकतांत्रिक अधिकार को कम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि 'विरोध आंदोलनों से उभरी वही आप सरकार अब विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार को खत्म करने की कोशिश कर रही है।' उन्होंने कहा कि हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों ने भी पंजाब रोडवेज और पनबस कर्मचारियों के साथ कथित दुर्व्यवहार के विरोध में सोमवार को दो घंटे का बंद रखकर समर्थन दिया था।
श्री सिंह ने कहा कि हड़ताल और धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक पंजाब भर में लगभग 170 कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को बिना शर्त वापसनहीं लिया जाता, जिनमें कुछ पर आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, और सभी गिरफ्तार या हिरासत में लिये गये कर्मचारियों की तत्काल रिहाई के साथ-साथ सभी बर्खास्त या निलंबित कर्मचारियों की बिना शर्त बहाली नहीं की जाती। किलोमीटर आधारित योजना के संबंध में उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय यूनियन की अगली आंतरिक बैठक के बाद सुनाया जाएगा।
यह हड़ताल तब शुरू हुई जब पुलिस ने गत गुरुवार देर रात और शुक्रवार सुबह पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के कई नेताओं को कथित तौर पर हिरासत में ले लिया। यूनियन ने पहले किलोमीटर-आधारित बस योजना के तहत टेंडर खोलने के खिलाफ और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण सहित लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर अपना आंदोलन शुरू किया था। सरकारी बसें सड़कों से नदारद होने के कारण यात्रियों को निजी बसों पर निर्भर रहना पड़ा। महिला यात्रियों, जो आमतौर पर सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा का लाभ उठाती हैं, ने बताया कि सरकारी सेवाओं के अभावमें उन्हें निजी बसों में टिकट खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा।
यूनियन नेताओं ने कहा कि जब तक सभी गिरफ्तार या हिरासत में लिये गये कर्मचारियों की तत्काल रिहाई के साथ-साथ सभी बर्खास्त या निलंबित कर्मचारियों की बिना शर्त बहाली नहीं की जाती और उनकी मांगों को लिखित रूप में नहीं माना जाता, हड़ताल जारी रहेगी।
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