अलवर , अक्टूबर 25 -- केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि हमें स्वदेशी व्यापार को और यहां के व्यापारियों को बढ़ावा देना चाहिए।
श्री यादव ने शनिवार को राजस्थान में अलवर में कार्यकर्ता सम्मेलन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों से इस देश में डिजिटल क्रांति आयी है, जिसका परिणाम है कि हम अब भुगतान डिजिटल तरीके से करते हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति के काफी सकारात्मक परिणाम आये हैं। ज्यादातर लोग आजकल यूपीआई से भुगतान करते हैं। यह हिंदुस्तान की सबसे बड़ी डिजिटल क्रांति है।
श्री यादव ने भारत के दुबई में महावाणिज्य दूत का जिक्र करते हुए बताया कि वह बिना नकदी भारत आ गये और भारत में उन्होंने यूपीआई के जरिए भुगतान किया और वह आश्चर्यचकित रह गये कि बिना नकद भुगतान के यूपीआई के जरिए हुए भुगतान से भारत का भ्रमण कर गये। उन्होंने बताया कि पुजारी ने भी और सभी ने दीक्षा देने वालों ने भी यूपीआई से भुगतान लिया, यहां नकद देने की जरूरत नहीं पड़ी। मतलब यह है कि छोटे से छोटा लोग भी लेनदेन यूपीआई से करने लगे हैं।
श्री यादव ने कहा कि पहले पैसा बिचौलियों के माध्यम से पहुंचता था, जो बीच में गायब हो जाता था, लेकिन अब डिजिटल क्रांति के जरिए सीधा लाभार्थी तक पैसा पहुंचता है। इस वर्ष छह लाख 83 हजार करोड़ रुपये सीधे लाभार्थी तक पहुंचे हैं।
कार्यकर्ता सम्मेलन में उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी 2) का जिक्र करते हुए कहा कि आठ वर्ष बाद उसमें बदलाव किया गया, क्योंकि अप्रत्यक्ष रूप से वसूल किये जाने वाला कर आम आदमी को प्रभावित करता था और कर को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसा माहौल बनाया कि पूरे देश में एक कर के रूप में जीएसटी लागू की गयी, जिसके चलते देश भर में चुंगी नाके समाप्त हो गये।
श्री यादव ने कहा कि पहले एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यापार करना काफी कठिन होता था, क्योंकि अलग-अलग राज्य में अलग-अलग कर थे, लेकिन अब केंद्र सरकार ने आठ वर्ष बाद चार में से दो स्लैब कर दिये, उसका परिणाम यह हुआ कि दीपावली पर जबर्दस्त खरीदारी हुई।
विनिर्माण क्षेत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बड़े निर्माणकर्ताओं को भी फायदा होगा। घरेलू उत्पादन बढ़ता जा रहा है। कृषि क्षेत्र में भी किसानों को जीएसटी कम करने का फायदा होगा। श्री यादव ने कहा कि अब हम अमेजॉन जैसी कंपनियों से जो सामान मंगवाते हैं, वह भी अब गांव से आने लगा है, क्योंकि उनके वेयरहाउस गांव में हैं और गांव का उत्पादन भी बड़ी कंपनियों से जुड़ रहा है, लेकिन हमें इस बात की आशंका भी है कि कहीं हम बड़ी कंपनियों के सेल्समैन बनकर नहीं रह जायें।
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