नयी दिल्ली , अक्टूबर 31 -- रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अध्यक्ष आनंद कुमार ने रेरा को ज्यादा शक्तियां देने की वकालत करते हुए शुक्रवार को कहा कि उसके पास स्थानीय निकायों को भी निर्देश देने का अधिकार होना चाहिये।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा भारतीय रियल एस्टेट के विकास पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रेरा बनने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, लेकिन इसमें अब भी कुछ कमियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिये।

उन्होंने कहा, " रेरा के पास सिर्फ आवास खरीदने वाले को, रियल एस्टेट एजेंट को और डेवलपर को निर्देश देने का अधिकार है। यदि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) निर्माण पूरा होने का प्रमाणपत्र (कम्प्लीशन सर्टिफिकेट ) देने में देरी करता है, तो उसे निर्देश देने का अधिकार रेरा के पास क्यों नहीं होना चाहिये।"उन्होंने कहा कि एमसीडी जैसे स्थानीय निकाय रियल एस्टेट क्षेत्र से संबंधित मामलों में पूरे रियल एस्टेट सेक्टर का हिस्सा हैं और उन्हें उचित निर्देश देने का अधिकार रेरा के पास होना चाहिये।

श्री कुमार ने एक अन्य सुधार की सलाह देते हुए कहा कि बिक्री समझौतों को लेकर भी दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने सलाह दी कि सभी बिक्री समझौते रेरा को सौंप दिये जाने चाहिये। रेरा उन्हें अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर देगा, जिससे कोई भी उसे देख सकता है।

रियल एस्टेट सेक्टर के सभी पक्षों से ईमानदारी बरतने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में आ रही समस्याओं की मुख्य वजह लालच है। खरीदार सस्ते मकान के लिए पूरी पड़ताल किये बिना अपनी मेहनत की कमाई रियल एस्टेट एजेंट को सौंप देते हैं। रियल एस्टेट एजेंट लालच के कारण गलत दस्तावेज डेवलपर को देते हैं और डेवलपर ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए गलत वादे करते हैं। उन्होंने खरीदारों से बिना पूरी पड़ताल किये पैसे न देने की अपील की।

श्री कुमार ने कहा कि रेरा कानून बनने से पहले रियल एस्टेट सेक्टर में भरोसे की कमी थी और क्षेत्र मंदी से गुजर रहा था। इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद खरीदार का भरोसा कायम हुआ है और सेक्टर फिर से तेजी से बढ़ रहा है।

उन्होंने भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और उपग्रह से सर्वेक्षण का समर्थन करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता आयेगी, स्वामित्व स्पष्ट होगा और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा रुकेगा।

रियल एस्टेट निवेश न्यासों (रीट्स) के बारे में उन्होंने कहा कि यह अभी देश में शुरुआती चरण में है, लेकिन यह काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने छोटे रीट्स का समर्थन करते हुए कहा कि यदि किसी के पास 10 लाख रुपये नहीं है और वह प्रॉपर्टी में निवेश नहीं कर सकता, तो कम से कम रीट्स के माध्यम से वह एक लाख रुपये का निवेश तो कर सकता है।

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