बारबाडोस/जयपुर , अक्टूबर 09 -- राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि स्थानीय नवाचारों से राष्ट्र का लोकतांत्रिक ढांचा समृद्ध होगा और राजस्थान जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।
श्री देवनानी ने बारबाडोस की राजधानी ब्रिजटाउन में आयोजित 68वें राष्ट्र मण्डल संसदीय संघ के सम्मेलन में संस्थाओं के सुदृढीकरण विषय पर विश्वभर से आए विधानमंडलों के अध्यक्षों के विचार-विमर्श के अवसर पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा ने नेवा, विधायी अभिलेखों के डिजिटिलिकरण, कल्याणकारी कानून निर्माण और मतदाता जागरुकता अभियान जैसे स्थानीय नवाचारों से लोकतंत्र की जीवन्तता को बनाते हुए भविष्य की स्थिरता को सुनिश्चित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र संस्थाओं की आत्मा में बसता है जो जनता के विश्वास को संभालती है। संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता, वितीय स्वायत्तता और पारदर्शिता ही लोकतंत्र की वास्तविक पहचान है। उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा ने जनसहभागिता, डिजिटल नवाचार और पारदर्शी कार्यसंचालन के माध्यम से संस्थागत सुदृढ़ीकरण की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। ऑनलाइन प्रश्नकाल प्रणाली, ई-विधान प्रक्रिया और विधानसभा संग्रहालय जैसे नवाचारों से राजस्थान विधान सभा लोकतंत्र को अधिक सुलभ और उत्तरदायी बनाने में सहयोगी बन रही है।
श्री देवनानी ने चर्चा में कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संवेदनशील नीति निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगा। समाज के सभी वर्ग निर्णय प्रक्रिया में सहभागी होंगे, तब लोकतंत्र अपने वास्तविक स्वरूप में खड़ा होगा।
विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों ने संस्थागत स्वायत्तता पर चर्चा करते हुए सहमति जताई कि वितीय स्वतंत्रता ही किसी संस्था की कार्यक्षमता का आधार होती है। श्री देवनानी ने इस संदर्भ में कहा कि जब विधान संस्थाएं अपने वित्तीय निर्णय स्वयं ले सकेंगी, तभी वे प्रशासनिक दबावों से मुक्त होकर जनहित में कार्य कर पाएंगी। यह लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सम्मेलन में आयोजित राउंड टेबल डिस्कशन में विभिन्न देशों के संसदीय प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान मुख्य रूप से संस्थाओं की वित्तीय स्वायतता, संसदीय समितियों की भूमिका एवं प्रभावशीलता, महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण, संस्थागत पारदर्शिता और उत्तरदायित्व, तकनीकी नवाचार और जनसहभागिता विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सच्ची शक्ति उन संस्थाओं में है जो जनता की आवाज़ को सुनती हैं, समझती हैं और उस पर अमल करती हैं। श्री देवनानी ने भारतीय परिप्रेक्ष्य में अपने सुझाव प्रस्तुत किए और कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में लोकतंत्र के साथ निर्णय निर्माण होता है।
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