भोपाल , नवम्बर 10 -- भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के केवड़िया स्थित स्टेच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में 1 से 15 नवम्बर तक "भारत पर्व" का उत्साहपूर्वक आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर मंगलवार, 11 नवम्बर को मध्यप्रदेश दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विशेष रूप से शामिल होंगे। इस आयोजन का उद्देश्य "एक भारत श्रेष्ठ भारत" की भावना के अनुरूप देश की विविधता में एकता को प्रदर्शित करना है।

संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी ने बताया कि भारत पर्व के अंतर्गत मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा लगभग 25 वर्गमीटर क्षेत्रफल में एक आकर्षक थीम पेवेलियन तैयार किया गया है, जिसमें राज्य की पर्यटन, संस्कृति और हस्तशिल्प विरासत को प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया जा रहा है।

इस पेवेलियन में सांची, खजुराहो, भीमबेटका, मांडू, ओरछा, उज्जैन और ओंकारेश्वर जैसे ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों के साथ-साथ बांधवगढ़, कान्हा और पेंच जैसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों की झलक प्रस्तुत की जा रही है। साथ ही, चंदेरी और महेश्वरी वस्त्र, बाघ प्रिंट, डोकरा कला, मिट्टी के बर्तन और गोंड पेंटिंग जैसी पारंपरिक कलाओं का भी प्रदर्शन किया जा रहा है।

अपर मुख्य सचिव पर्यटन, संस्कृति, गृह एवं धार्मिक न्यास विभाग श्री शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि भारत पर्व देश की सांस्कृतिक एकता और विविधता का सुंदर उत्सव है। मध्यप्रदेश 'भारत का हृदय' है और इसकी परंपराएं, स्वाद और कला रूप देश की आत्मा को दर्शाते हैं।

मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा 11 नवम्बर को "स्टूडियो किचन" की विशेष प्रस्तुति दी जाएगी। 'फ्लेवर फ्रॉम द हार्ट ऑफ इंडिया' थीम पर आधारित इस प्रस्तुति में प्रदेश के पारंपरिक व्यंजन जैसे बुंदेलखंड का सन्नाटा, डिंडोरी का कंगनी दाल शोरबा, मालवा का भुट्टे की कीस, चंबल का थोपा, सीधी की बेड़ई धुमना आलू, बघेलखंड का मटर निमोना-सादी पूरी और शहडोल की प्रसिद्ध मिठाई कुटकी की खीर परोसी जाएगी।

संस्कृति विभाग की ओर से प्रसिद्ध नृत्य संयोजिका मैत्रीय पहाड़ी एवं समूह "अमृतस्य मध्यप्रदेश" शीर्षक से नृत्यगाथा प्रस्तुत करेंगे। यह प्रस्तुति मध्यप्रदेश की प्राचीन सभ्यता, भक्ति, प्रेम और प्रकृति की लय को दर्शाएगी। इसमें भीमबेटका की गुफाओं, खजुराहो के मंदिरों, सांची के स्तूप, उज्जैन और ओंकारेश्वर की दिव्यता, मांडू की प्रेमगाथा और नर्मदा आरती के दृश्य मंच पर जीवंत रूप में प्रस्तुत किए जाएंगे।

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