चेन्नई , अक्टूबर 09 -- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर बिना किसी देरी के श्रीलंका की नौसेना द्वारा गिरफ्तार किये गये तमिलनाडु के मछुआरों की रिहाई और उनकी नौकाओं को छुड़वाने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि श्रीलंकाई नौसेना ने पाक जलडमरूमध्य के पार द्वीपीय राष्ट्र के जलक्षेत्र में अवैध शिकार के आरोप में 47 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया है। विदेश मंत्री को लिखे अपने पत्र में श्री स्टालिन ने आग्रह किया है कि केंद्र सरकार इस गंभीर मुद्दे का समाधान तलाशने के वास्ते संयुक्त कार्य समूह का फिर से गठन करे। आज तक, 242 मछली पकड़ने वाली नौकाएँ और 74 मछुआरे श्रीलंका की हिरासत में हैं। उन्होंने कहा, "मैं आज सुबह श्रीलंकाई नौसेना द्वारा पाँच भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं और 47 मछुआरों को पकड़े जाने की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। इस घटना ने मछुआरा समुदाय में काफी तनाव पैदा कर दिया है और तटीय जिलों में भय और अनिश्चितता फैल गई है। यह रेखांकित करना उचित है कि 2025 में यह पहली घटना है जब एक ही दिन में बड़ी संख्या में मछुआरों को पकड़ा गया है।"उन्होंने कहा, "इस तरह की बार-बार होने वाली घटनाएँ न केवल हमारे मछुआरों की सुरक्षा और आजीविका को खतरे में डालती हैं, बल्कि पारंपरिक व्यवसाय को आगे बढ़ाने में उनके मनोबल और आत्मविश्वास को भी गंभीर रूप से कम करती हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, मैं आपसे इस मामले को संबंधित अधिकारियों के साथ सुलझाने और गिरफ्तार मछुआरों और उनकी नौकाओं की शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध करता हूँ। मैं आपसे संयुक्त कार्य समूह को पुनर्गठित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कूटनीतिक प्रयास करने का भी आग्रह करता हूँ कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।"उन्होंने कहा कि नावों और मछुआरों का विवरण देते हुए कहा, "हिरासत में ली गई पाँच नावों में से, चार मशीनीकृत मछली पकड़ने वाली नावें जिनके पंजीकरण संख्या आईएनडी-टीएन-10-एमएम-200, आईएनडी-टीएन-10-एमएम -308, आईएनडी-टीएन-10-एमएम -748 और आईएनडी-टीएन-10-एमएम -1002 हैं और 30 मछुआरे तमिलनाडु के तटीय गाँवों के हैं।" श्रीलंका की नौसेना द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों को हिरासत में लिये जाने कीसभी राजनीतिक दलों ने निंदा की है और यह मांग उठ रही है कि भारत 1974 में श्रीलंका को सौंपे गए छोटे से चट्टानी टापू, कच्चातीवु को पुनः प्राप्त करने के लिए कदम उठाए।
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