भोपाल , अक्टूबर 6 -- मध्यप्रदेश इकाई मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि भावांतर की यह योजना पिछली योजना से भी ज्यादा खतरनाक है। उसमे तो आसपास की मंडियों से भाव का मूल्यांकन कर भावांतर की राशि निर्धारित होती थी, लेकिन इसमे तो किसान का सोयाबीन किसी भी भाव पर बिके, उसे भावांतर 728 रुपए क्विंटल ही मिलेगा, और यही हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन खरीदी को लेकर भाजपा सरकार द्वारा आठ साल बाद फिर से शुरू की गई भावांतर योजना, जैसा कि आशंका थी, किसानों की लूट को बढ़ाने और अडानी और बिचौलियों की तिजोरियां भरने की योजना बन गयी है। प्रदेश की भाजपा की मोहन यादव सरकार का मकसद भी यही था।
माकपा नेता ने कहा है कि सोयाबीन की एमएसपी 5328 रुपये प्रति क्विंटल है। सरकार ने मंडियों में इसका भाव 4600 रुपये प्रति क्विंटल मान कर 728 रुपए भावांतर राशि तय कर दी थी l यह राशि एमएसपी का 15 फीसद हैl लेकिन जैसे कि आशंका थी, मंडियों में सोयाबीन का भाव 3500 रुपए से भी नीचे आ गया है l इससे किसान को प्रति क्विंटल 1800 रुपए से अधिक का नुकसान हो रहा है, जो एमएसपी से 35 फीसद कम है, लेकिन इसके बावजूद किसानों को 728 रुपये ही भावांतर राशि के रूप मे मिलेगा।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि 35 प्रतिशत से अधिक घाटा होने के बावजूद 15 प्रतिशत की भरपाई का नाटक करना किसानों के ज़ख्मों पर नमक छिड़कना है l इसकी आशंका मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पहले ही व्यक्त कर चुकी थी कि यह योजना अडानी के सोया प्लांटों के लिए सस्ते में सोयाबीन की व्यवस्था कर अडानी के खजाने भरने की साजिश का हिस्सा है।
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