देहरादून , अक्टूबर 19, -- दीपावली का त्योहार भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दीपावली का यह त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। प्रदोष काल ,निशा व्यापनी अमावस्या तिथि, स्थिर लग्न पर दीपावली लक्ष्मी पूजन करने से धन-धान्य की वृद्धि ,व्यापार में नित्य उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। मां लक्ष्मी का आशीर्वाद सदा बना रहता है।
इस वर्ष सोमवार यानी 20 अक्टूबर को दीपावली का शुभ त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन अपराह्न 15.54 बजे अर्थात तीन बजकर 54 मिनट पर अमावस्या लगेगी। यह दूसरे दिन मंगलवार को 17.54 यानी पांच बजकर 54 मिनट तक रहेगी।
यह जानकारी रविवार को श्री दैवी संपद् अध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय, परमार्थ निकेतन, स्वर्गाश्रम ऋषिकेश (पौड़ी गढ़वाल) के प्राचार्य डा संजीव कुमार ने यूनीवार्ता को दी। उन्होंने संशय निवृत्ति करते हुए बताया कि हमारे वैदिक ग्रंथ धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, मुहूर्त चिंतामणि इत्यादि ग्रन्थों का भी अवलोकन करते हुए हम सभी को सर्वसम्मति से 20 अक्टूबर को सहर्ष दीप उत्सव मनाना चाहिए।
उन्होंने शास्त्रीय प्रमाण देते हुए कहा,"उभयदिने प्रदोषव्याप्तौ परा ग्रह्या। दण्डैकरजनीयोगे दर्शः स्यात्तु परेऽहनि। तदा विहाय पूर्वेद्यु परेऽह्नि सुखरात्रिकाः।" अर्थात् यदि दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी तिथि होय, तो अगले दिन करें-क्योंकि तिथितत्त्व में ज्योतिष का वाक्य है। एक घड़ी रात्रि (प्रदोष के उपरांत भी निशा काल (मध्य रात्रि) का 24 मिनट का समय एक दण्ड कहलाता है) का योग होय तो अमावस्या दूसरे दिन होती है। तब प्रथम दिन छोड़कर अगले दिन सुखरात्रि होती है।) यद्यपि-दीपावली के दिन निशीथकाल में लक्ष्मी का आगमन शास्त्रों में वर्णित है और कर्मकाल (लक्ष्मी पूजन, दीपदान-आदि का काल) प्रदोष माना जाता है।
डा कुमार कहते हैं कि "लक्ष्मी पूजन, दीपदान के लिए प्रदोष काल ही शास्त्र प्रतिपादित है और वर्ष 2025 में 21 अक्टूबर में इनमें से कोई भी स्थिति बन ही नहीं रही है। ना तो तीन मुहूर्त प्रदोष काल में अमावस्या तिथि व्याप्त है और ना ही निशा काल (मध्य रात्रि) में एक दण्ड व्याप्त है। इस स्थिति में दीपावली पर्व केवल 20 अक्टूबर 2025 को ही मान्य होगा। उन्होंने बताया कि प्रदोष काल का समय होता है तीन मुहूर्त, एक मुहूर्त का समय होता है 48 मिनट, इस प्रकार तीन मुहूर्त का समय होगा 2 घंटा 24 मिनट का( प्रदोष काल)।
प्राचार्य डा कुमार कहते हैं,"दो घंटे 24 मिनट के उपरांत भी एक दण्ड (निशा काल) रात्रि का मध्य काल (24 मिनट) तक यदि अमावस्या तिथि व्याप्त हो, उस स्थिति में ही दूसरे दिन दीपावली त्योहार मनाना शास्त्र सम्मत होता है। उन्होंने बताया कि परंतु वर्ष 2025 में अमावस्या तिथि 21 अक्टूबर को सायंकाल 17.54 बजे पर समाप्त हो जाएगी। धार्मिक नियमानुसार 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि ना तो प्रदोष काल व्यापिनी ना ही निशा काल। इसलिए 20 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व मनाना शास्त्र सम्मत है।
श्री कुमार के अनुसार, कुछ जातक पुरुषार्थ चिंतामणि के इस श्लोक को अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत कर रहे हैं। जिसका सही अर्थ है, पूर्वत्रैव व्याप्तिरिति पक्षे परत्र यामत्रयाधिकव्यापिदर्श दर्शापेक्षया प्रतिपदृद्धिसत्त्वे लक्ष्मीपूजादिकमपि परत्रैवेत्युक्तम्।
इस श्लोक के अनुसार, केवल पहले दिन (पूर्वत्र) ही तिथि की व्याप्ति है, यदि दूसरे दिन (परत्र) अमावस्या (दर्श) तीन या उससे अधिक 'याम' (लगभग नौ घंटे) तक व्याप्त रहती है, जबकि पहले दिन की तुलना में प्रतिपदा तिथि भी बढ़ रही हो, तो लक्ष्मी पूजा जैसे अनुष्ठान दूसरे दिन ही किए जाने चाहिए। वह सरल भाषा में समझाते हैं कि पहले दिन और दूसरे दिन की अपेक्षा जिस दिन अमावस्या तिथि ज्यादा होगी उसी दिन त्योहार उत्सव मनाया जाएगा। इसीलिए इस वर्ष 20 अक्टूबर को ही अमावस्या तिथि वृद्धि गामिनी होगी।
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