नयी दिल्ली , अक्टूबर 13 -- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि भारत वैश्विक बाजार में सेवाओं को अपनी मुख्य ताकत मानता है और अगले दो वर्षों में देश का सेवा निर्यात वस्तु निर्यात से अधिक हो जाएगा।

श्री गोयल ने कहा कि भारत सेवा क्षेत्र में स्पष्ट रूप से अग्रणी है। यह क्षेत्र न केवल रोजगार के अवसर पैदा करता है और आर्थिक गतिविधियों को गति देता है, बल्कि विनिर्माण, रियल एस्टेट और वस्तुओं एवं सेवाओं की समग्र मांग को भी मज़बूती से बढ़ाने में सहायक है। वाणिज्य मंत्री उद्योग मंडल एसोचैम की 105वीं वार्षिक आम सभा को संबोधित कर रहे थे।

श्री गोयल ने विनिर्माण क्षेत्र के कई उद्योगों के लिए दुर्लभ खनिजों से विनिर्मित यंत्र और उपकरणों की आपूर्ति में आ रही रुकावटों के बीच आज यह भी कहा कि सरकार लोम और एल्डो जैसे दुर्लभ मृदा तत्व निकालने के लिए कचरे के पुनर्चक्रण पर काम कर रही स्टार्ट-अप इकाइयों की सहायता कर रही है। देश में दुर्लभ मृदा प्रसंस्करण सुविधाएँ स्थापित करने के लिए स्टार्ट-अप इकाइयों के साथ भी चर्चा चल रही है।

उन्होंने अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर और अधिक जुझारू बनाने की जरूरत महत्व पर बल देते हुए कहा कि सभी हितधारकों से अपनी-अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का नियमित रूप से मूल्यांकन और सुदृढ़ीकरण करना होगा। सरकार उद्योग जगत के हितधारकों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का मानचित्रण करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है जहाँ घरेलू क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच अधिक सहयोग के माध्यम से, भारत मजबूत मूल्य श्रृंखलाएँ विकसित कर सकता है जो न केवल घरेलू माँग को पूरा करेंगी बल्कि वैश्विक व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वसनीय भागीदार के रूप में भी काम करेंगी।

श्री गोयल ने कहा कि भारत को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं की हर कड़ी का-कच्चे माल की सोर्सिंग से लेकर उत्पादन और वितरण तक-ध्यानपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए ताकि कुछ भौगोलिक क्षेत्रों पर निर्भरता कम हो और संभावित कमजोरियों से बचा जा सके।

श्री गोयल ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और अब देश व्यापार समझौतों के मामले में भागीदारों के साथ मज़बूत स्थिति में बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश अब मुख्य रूप से उन देशों के साथ जुड़ रहा है जो भारत के प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, और यह सुनिश्चित कर रहा है कि व्यापारिक साझेदारियाँ संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी हों। उन्होंने इस रणनीतिक दृष्टिकोण को घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करने, निर्यात प्रोत्साहन और निवेश एवं प्रौद्योगिकी सहयोग के अवसर पैदा करने में सहायक बताया। उन्होंने कहा कि यह रणनीति ऐसे समझौतों से बचने में भी मदद करती है जो भारत की कीमत पर दूसरे पक्ष को अत्यधिक लाभ पहुँचा सकते हैं।

श्री गोयल ने कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 700 अरब अमेरिकी डॉलर के मज़बूत स्तर पर बना हुआ है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूत बुनियाद को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हर लिहाज से, भारत के लोग, व्यवसाय और उद्योग मिलकर एक नई गतिशीलता, उत्साह और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कुछ साल पहले देखने को नहीं मिलता था। आज दुनिया भारत को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार और काम करने के लिए एक भरोसेमंद देश के रूप में पहचानती है।

श्री गोयल ने बताया कि जहाँ दुनिया चुनौतीपूर्ण वैश्विक दौर से गुज़र रही है, वहीं भारत लगातार लचीलापन दिखा रहा है और सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस वर्ष के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 1.54 प्रतिशत पर आ गयी जो खुदरा महंगाई वृद्धि दर का आठ वर्षों का न्यूनतम स्तर है। ।

उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और एसोचैम जैसे उद्योग मंडल सामूहिक के सामूहिक प्रयास इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने में मदद कर सकते हैं।

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