नैनीताल, सितंबर 25 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चंपावत के सेवानिवृत्त शिक्षकों से अधिक वेतन की वसूली के मामले में आगामी नौ अक्टूबर को वित्त सचिव को अदालत में वर्चुअल पेश होने के निर्देश दिए हैं।

मामले को चंपावत के तीन सेवानिवृत्त शिक्षकों श्रवण कुमार विद्यार्थी, अरुण कुमार तिलनिया और अखिलेश श्रीवास्तव की ओर से चुनौती दी गई। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ में हुई।

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वर्ष 1990 में उनकी नियुक्ति तदर्थ शिक्षक के रूप में हुई थी। वर्ष 2002 में उन्हें विनियमित किया गया। विनियमितिकरण के साथ ही उन्हें चयन वेतनमान और प्रोन्नत वेतनमान के साथ ही वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ दिया गया। इस दौरान वह वर्ष 2023-2024 में सेवा निवृत्त हो गये।

इस बीच चंपावत के मुख्य शिक्षाधिकारी की ओर से एक आदेश जारी कर उनके सेवानिवृत्त लाभ रोकने के निर्देश दे दिए गए और कहा गया कि पहले उनसे अधिक वेतनमान की वसूली की जाए।

याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी कहा गया कि शिक्षा महकमे की ओर से 13 लाख से 29 लाख रुपए तक की वसूली की जा रही है। सरकार की ओर से इस मामले संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। सरकार की ओर से कहा गया कि उन्हें गलत ढंग से अधिक वेतन का भुगतान किया गया है।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए वित्त सचिव को 09 अक्टूबर को वर्चुअल रूप से पेश होने के निर्देश दे दिए। अदालत ने उनसे पूछा है कि पहले अधिक वेतन का भुगतान क्यों किया गया और बाद में वसूली क्यों की जा रही है। इस मामले में नौ अक्टूबर को सुनवाई होगी।

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