संयुक्त राष्ट्र , अक्टूबर 24 -- संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि सूडान सबसे गंभीर आपात स्थितियों का सामना कर रहा है जहां करीब तीन करोड़ से ज्यादा लोगों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है। पीड़ितों में लगभग 1.5 करोड़ बच्चे शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी चार एजेंसियों -अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी , संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने सूडान में व्याप्त संकट पर तत्काल अंतर्राष्ट्रीय ध्यान देने का आह्वान किया है।
इन एजेंसियों ने सूडान की हालत काे देखते हुये जारी एक बयान में कहा कि ढाई वर्षाें से अधिक समय से जारी हिंसक झड़पों , मानवाधिकारों के व्यापक उल्लंघन, अकाल और जीवन-रक्षक सेवाओं की जबर्दस्त किल्लत से लाखों लोग, खासकर महिलाएँ और बच्चे, बहुत ही दयनीय हालत में रह रहे हैं।इन एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने दारफ़ुर, खार्तूम और अन्य संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया जहाँ उन्होंने इस तरह की स्थितियों का अवलोकन किया ।
सूडान में लगभग तीन वर्षों से जारी संघर्ष ने स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं को बिल्कुल नष्ट कर दिया है। पिछले साल सूडान के कुछ हिस्सों में अकाल पड़ा था, जिससे स्थिति और भयावह हो गयी है। इस अकाल से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हुये हैं, जिनमें कुपोषण की दर तेज़ी से बढ़ रही है।
बयान के अनुसार ज़्यादातर प्रभावित आबादी तक पहुँच अभी भी गंभीर रूप से सीमित है। मानवीय कार्यकर्ताओं को असुरक्षा, नौकरशाही बाधाओं और रसद संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे मानवीय सहायता पहुँचाना बेहद मुश्किल हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त केली टी. क्लेमेंट्स ने पोर्ट सूडान और खार्तूम के बाहरी इलाकों का दौरा करने के बाद कहा कि यह दशकों में देखे गए सबसे बुरे सुरक्षा संकटों में से एक है। लाखों लोग देश के अंदर और बाहर विस्थापित हैं और लौटने वाले परिवारों के पास अन्य विकल्पों के अभाव में बहुत कम सहारा है। धन की कमी इस संकट को और बढ़ा रही है। सूडान के लिए 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की 'मानवीय प्रतिक्रिया योजना 2025' में केवल 25 प्रतिशत धनराशि ही एकत्रित हो पायी है।
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